बावरी हुई है मातु प्रेम प्रेम बोलि रही
तीन लोक डोलि डोलि खुद को थकायो है
गायो नाचि नाचि कै हिये की पीर बार बार
प्रेम पंथ मुझ से कपूत को दिखायो है
भसम रमाये एकु जोगिया दिखाय गयो
कछु न सुहाय हाय जग ही भुलायो है
धाय धाय चढ़त अटारी महतारी मोरि
छोड़ि लोक लाज सभी काज बिसरायो है
पायो है महेश अंश दंश सभी दूरि भये
धूरि करि चित्त के विकार दिखलायो है
भूरि भूरि करत प्रसंशा जगवाले तासु
मातु ने आनंद को आनंद से मिलायो है
- आनंद
तीन लोक डोलि डोलि खुद को थकायो है
गायो नाचि नाचि कै हिये की पीर बार बार
प्रेम पंथ मुझ से कपूत को दिखायो है
भसम रमाये एकु जोगिया दिखाय गयो
कछु न सुहाय हाय जग ही भुलायो है
धाय धाय चढ़त अटारी महतारी मोरि
छोड़ि लोक लाज सभी काज बिसरायो है
पायो है महेश अंश दंश सभी दूरि भये
धूरि करि चित्त के विकार दिखलायो है
भूरि भूरि करत प्रसंशा जगवाले तासु
मातु ने आनंद को आनंद से मिलायो है
- आनंद
वैसे तो हर दिन माँ का है ...पर माँ के दिवस पर हर माँ को नमन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (12-05-2013) के चर्चा मंच 1242 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंवाह !!
जवाब देंहटाएंbahut khoob ....
जवाब देंहटाएंमातृ दिवस सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदिवस विशेष भी हार्दिक शुभकामनाएँ....
बहुत बढ़िया लिखा है आपने, मातृ दिवस की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
माँ को श्रद्धेय नमन।
जवाब देंहटाएंसादर
माँ को श्रद्धेय नमन।
जवाब देंहटाएंसादर
:-)
जवाब देंहटाएंBahut Khub...
जवाब देंहटाएं:)
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