शनिवार, 31 दिसंबर 2011

जिंदगी की दास्ताँ, बस दास्तान-ए-ग़म नही



जिंदगी की दास्ताँ, बस दास्तान-ए-ग़म नही
इम्तहाँ भी कम नही, तो हौसले भी कम नही

करने वाले मेरे सपनों की तिजारत कर गये
हम सरे-बाज़ार थे पर हुआ कुछ मालुम नही

कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने,  अच्छा हुआ
जो भी है अब सामने, गफ़लत तो कम से कम नही 

अय ज़माने के खुदाओं  अपना रस्ता नापिए
अब किसी भगवान के रहमो-करम पर हम नही

अब जहाँ जाना  है लेकर वक़्त मुझको जाएगा
मौत महबूबा है, लेकिन ख़ुदकुशी लाज़िम नही

रंज मुझको ये नहीं, कि क्यों गया तू छोड़कर
रंज ये है,  क्यों तेरे जाने का रंज-ओ-गम नहीं

अपने अब तक के सफ़र में खुद हुआ मालूम ये
लाख अच्छे हों,  मगर ऐतबार लायक हम नही

हिज्र की बातें करे या, वस्ल का चर्चा करे
आजकल 'आनंद' की बातों में वैसा दम नही

-आनंद द्विवेदी ३१/१२/२०११

38 टिप्‍पणियां:

  1. करने वाले मेरे सपनों की तिजारत कर गये
    हम भी थे बाज़ार में पर हमको कुछ मालुम नही
    बेहतरीन प्रस्‍तुति
    नववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ बधाई ।

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  2. कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने, अच्छा हुआ
    जो भी है अब सामने, गफ़लत तो कम से कम नही
    waah

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  3. Laazawaab, behtareen....bahut sundar sirji
    Karare bhav hain....

    www.poeticprakash.com

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  4. जिंदगी की दास्ताँ, बस दास्तान-ए-ग़म नही
    इम्तहाँ भी कम नही, तो हौसले भी कम नही...

    बहुत खूब ... हौसलों से उडान होती है...
    नववर्ष की अशेष शुभकामनायें...

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  5. बहुत खूब सर!

    नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

    सादर

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  6. क्या बात आनंद जी ...बहुत खूब ....दिल कि हर बात लिख डाली है आपने ...एक बार फिर से साबित कर दिया आपने कि .....


    लाख कर ले ये ज़माना सितम ....ज़ालिम ,पर हम भी किसी से कम नहीं ..

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  7. अरे बहुत दम है बातों में.और नव वर्ष में बढ़ता ही जाये ..ढेरों शुभकामनायें.

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  8. जिंदगी की दास्ताँ, बस दास्तान-ए-ग़म नही
    इम्तहाँ भी कम नही, तो हौसले भी कम नही
    Wah!
    Naya saal bahut,bahut mubarak ho!

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  9. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति.........नववर्ष की शुभकामनायें.....

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  10. वाकई जिंदगी में कई रंग हैं...कभी इम्तहाँ तो कभी हौसले भी.. बहुत प्रभावशाली रचना, नए वर्ष की शुभकामनायें !

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  11. "कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने, अच्छा हुआ"
    This is one of the greatest write I read so far...the feelings, the expressions, the wordings...what not, all are par excellence. And the punch line on top of it : कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने, अच्छा हुआ. Wakayi jo ho jata wah achha hi ho jata.One Pakistani Music producer was reaidng this piece, he may directly approach you at the shop where you are employed for permission to get it sung by Atta Ulla Khaan types. Write more.

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  12. आपको नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
    ---------------------------------------------------------------
    कल 02/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  13. May I know about You Mr./Mrs/Ms 'Benami'....Aapki nakaab kab hategi :)? usually I Never reply on comments Like wah Wah ! But u r reading my poems & gazals from last few days your comments are enough mature. So i want to know abt you.
    And your Idea is not so bad thanks for your concern. :)

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  14. रंज मुझको ये नहीं, कि क्यों गया तू छोड़कर
    रंज ये है, क्यों तेरे जाने का रंज-ओ-गम नहीं
    वर्तमान से रु -बा -रु कल से संवाद करती सी ग़ज़ल हर शैर मुकम्मिल एक ग़ज़ल सा .

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  15. जिंदगी की दास्ताँ, बस दास्तान-ए-ग़म नही
    इम्तहाँ भी कम नही, तो हौसले भी कम नही....

    वाह! खूबसूरत गज़ल आदरणीय आनंद भाई... सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं

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  16. हिज्र की बातें करे या, वस्ल का चर्चा करे
    आजकल 'आनंद' की बातों में वैसा दम नही
    आनंद जी...वही शिकायत कि यहाँ गाल्त्बयानी हो गयी आपसे...क्यूंकि आपकी बातों में बहुत दम है..पूरी गज़ल दमदार है !!

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  17. नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ आप सभी का दिल से आभार !

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  18. "your comments are enough mature." you wrote. Is this not enough? is this not gr8 to get mature readers ? :)
    Thanx for the compliments nways.

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  19. कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने, अच्छा हुआ
    जो भी है अब सामने, गफ़लत तो कम से कम नही
    बहुत खूब!

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  20. कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने, अच्छा हुआ
    जो भी है अब सामने, गफ़लत तो कम से कम नही
    बहुत खूबसूरत आनंद जी, सारे शेर अच्छे हैं, लेकिन यह काफी पसंद आया।

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  21. कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने, अच्छा हुआ
    जो भी है अब सामने, गफ़लत तो कम से कम नही
    बहुत खूबसूरत आनंद जी, सारे शेर अच्छे हैं, लेकिन यह काफी पसंद आया।

    जवाब देंहटाएं
  22. दीपिका जी कि एक टिप्पड़ी जो शायद किसी तकनीकी वजह से प्रकाशित नहीं हो पाया !
    ................
    दीपिका रानी ने आपकी पोस्ट " रंज़ ये है ... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

    कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने, अच्छा हुआ
    जो भी है अब सामने, गफ़लत तो कम से कम नही
    बहुत खूबसूरत आनंद जी, सारे शेर अच्छे हैं, लेकिन यह काफी पसंद आया।

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  23. वाह ...बहुत ही बढि़या

    कल 11/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, उम्र भर इस सोच में थे हम ... !

    धन्यवाद!

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  24. रंज मुझको ये नहीं, कि क्यों गया तू छोड़कर
    रंज ये है, क्यों तेरे जाने का रंज-ओ-गम नहीं

    बहुत खूब..किसने कहा दम नहीं!!!

    जवाब देंहटाएं
  25. एक अच्छी रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ |

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  26. कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने, अच्छा हुआ
    जो भी है अब सामने, गफ़लत तो कम से कम नही
    रंज मुझको ये नहीं, कि क्यों गया तू छोड़कर
    रंज ये है, क्यों तेरे जाने का रंज-ओ-गम नहीं
    वाह..बेहतरीन प्रस्‍तुति


    vikram7: हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई ....

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  27. स्त भी अब हर कदम रखते हैं अपना फूंक कर
    लाख अच्छे हों, मगर ऐतबार लायक हम नही

    बहुत खूब सर!

    सादर

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  28. "हिज्र की बातें करे या, वस्ल का चर्चा करे
    आजकल 'आनंद' की बातों में वैसा दम नही "

    "सब कहा और कह गए चुपचाप बिन बोले हुए ,
    कौन है नादाँ ! कहे 'आनंद' तुझमें दम नहीं !"

    आनंद जी .....
    आज भी वही साफगोई नज़र आती है आपके अंदाज़ में !
    चाहे हिज्र की बात करें आप या वस्ल की....जुबानी तल्खी ज़ाहिर हो जाती है....!ये जिन्दगी जो न सिखाये....जो न दिखाए....!

    "रंज मुझको ये नहीं, कि क्यों गया तू छोड़कर
    रंज ये है, क्यों तेरे जाने का रंज-ओ-गम नहीं !"

    जाने वाले तेरा खुदा हाफ़िज़......!
    माशाल्लाह....!!

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  29. कुछ नक़ाबें नोच डालीं वक्त ने, अच्छा हुआ
    जो भी है अब सामने, गफलत तो कम से कम नहीं

    ग़ज़ल के तमाम शेर
    बहुत ख़ूबसूरती से कहे गए हैं
    पढ़ कर मन में बसते हैं... खुद ही !
    वाह !!

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  30. "हिज्र की बातें करे या, वस्ल का चर्चा करे
    आजकल 'आनंद' की बातों में वैसा दम नही "

    हमें तो बहुत दम लगा आपकी ग़ज़ल में...........उम्दा ग़ज़ल!

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  31. जिंदगी की दास्ताँ, बस दास्तान-ए-ग़म नही
    इम्तहाँ भी कम नही, तो हौसले भी कम नही

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  32. एक एक लाइन बेहतरीन है आनंद ...
    "आनंद" के लिए "आनंद" के साथ उपयोग करना चाहूँगा ...
    शुभकामनायें भैया !

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  33. दोस्त भी अब हर कदम रखते हैं अपना फूंक कर
    लाख अच्छे हों, मगर ऐतबार लायक हम नही

    आनन्द भाई
    "हम" की जगह "भी" नहीं होना चाहिए क्या ??

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  34. बहुत अच्छी गजल आनंद जी ! बधाई आपको !
    मेरे लिए यह शेर हसीले-गजल रहा ---

    कुछ नकाबें नोंच डालीं वक़्त ने, अच्छा हुआ
    जो भी है अब सामने, गफ़लत तो कम से कम नही !

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  35. मिसिर जी बहुत बहुत शुक्रिया !

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  36. आप सभी का इस स्नेह के लिए एक बार फिर से !

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