हाल दिल का, वो इशारों से बता देता है,
जब भी मिलता है, बहारों से मिला देता है !
किस नज़र देखता है हाय देखने भर से ,
मेरी नज़रों को नजारों से मिला देता है !
प्यास को, गंगा की धारों से मिला देता है !
जब कभी मुझको वो पाता है जरा भी तनहा,
अपनी यादों के, सहारों से मिला देता है !
कितना भी तेज़ हो तूफान वो मांझी बनकर ,
मेरी कश्ती को, किनारों से मिला देता है !
हाँ ये सच है की खुदा, खुद नहीं करता कुछ भी,
बस वो 'आनंद' को, यारों से मिला देता है !!
-आनंद द्विवेदी २३-०५-२०११
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 22/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंहाल दिल का, वो इशारों से बता देता है,
जब भी मिलता है, बहारों से मिला देता है !
Wah!Kya gazab kee panktiyan hain,,,,harek panktee waise to behad sundar hai.
वाह....
जवाब देंहटाएंलाजवाब,,,,,
आपकी ग़ज़लों का जवाब नहीं,...
अनु
खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya...!
जवाब देंहटाएंवाह .. बहुत ही खूबसूरत शेर हैं इस गज़ल के ...
जवाब देंहटाएंजब कभी मुझको वो पाता है जरा भी तनहा,
जवाब देंहटाएंअपनी यादों के, सहारों से मिला देता है !
कितना भी तेज़ हो तूफान वो मांझी बनकर ,
मेरी कश्ती को, किनारों से मिला देता है !
वाह ... बहुत खूब ।
खुबसूरत रचना.....
जवाब देंहटाएंसही कहा आनंद....
जवाब देंहटाएं"हाँ ये सच है की खुदा, खुद नहीं करता कुछ भी,
बस वो 'आनंद' को, यारों से मिला देता है !!"
ये सच है लेकिन अगर यार बिछड़ जाएँ तो दोष किसे दें...!!
अब इंसान दोष लेने से रहा...!!
बहुत खूब आनंद.....
जवाब देंहटाएंहाँ ये सच है की खुदा, खुद नहीं करता कुछ भी,
बस वो 'आनंद' को, यारों से मिला देता है !!
और गर दोस्त बिछड जाएँ तो ये खुदा क्या करेगा...
दोस्त हैं तो बिछुडेंगे कैसे पूनम जी, भौतिक रूप से दूरी हो सकती है बस !
हटाएंबहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
हाल दिल का, वो इशारों से बता देता है,
जवाब देंहटाएंजब भी मिलता है, बहारों से मिला देता है !
...वाह बहुत ही उम्दा शेर !!!!
wah ! umda...behad khubsoorat gazal
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत गजल...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
:-)
एक सच्चे दोस्त की दोस्ती की सोच....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों का हार्दिक आभार !
जवाब देंहटाएं