भूल गया हूँ अब
कैसे देखा था पहली बार तुम्हें
और क्या देखा था
क्या कहा था तुमसे और क्यों कहा था
बहुत जोर डालने पर भी याद नहीं आता
कि देखे हुए अनगिनत ख्वाबों में से
कितने टूटे
कितने बचे
मोटा मोटा अनुमान है कि वो सब टूट गए
जिन्हें
हकीकत होना था
बच वो रहे हैं
जिन्हें
सिर्फ ख्वाब रहना था ...!
- आनंद
कैसे देखा था पहली बार तुम्हें
और क्या देखा था
क्या कहा था तुमसे और क्यों कहा था
बहुत जोर डालने पर भी याद नहीं आता
कि देखे हुए अनगिनत ख्वाबों में से
कितने टूटे
कितने बचे
मोटा मोटा अनुमान है कि वो सब टूट गए
जिन्हें
हकीकत होना था
बच वो रहे हैं
जिन्हें
सिर्फ ख्वाब रहना था ...!
- आनंद
सुन्दर अभिव्यक्ति....सर ... बधाई..
जवाब देंहटाएंBahut sundar...eeshwar kare aapke khwab sach hon!
जवाब देंहटाएंख्याबों का सच होना ???????
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ख्याल