चलते फिरते काम बिगाड़े बैठे हैं
हम तो दिल की बाजी हारे बैठे हैं
उसकी मर्ज़ी जैसा चाहे रक्खे वो
सर से सारा बोझ उतारे बैठे हैं
संकोची उम्मीदें मेरी, ले आयीं
उसके दर तक, मगर दुआरे बैठे हैं
मेरा पैमाना, साकी भर ही देगा
इस हसरत में एक किनारे बैठे हैं
अब तो बदला सा लगता है मौसम भी
हम भी केंचुल आज उतारे बैठे हैं
सदियों की तन्हाई शायद टूटेगी
अबतक सारे जख्म संभारे बैठे हैं
हम 'आनंद' नहीं हैं उसका धोखा हैं
पहले ही किस्मत के मारे बैठे हैं
- आनंद
हम तो दिल की बाजी हारे बैठे हैं
उसकी मर्ज़ी जैसा चाहे रक्खे वो
सर से सारा बोझ उतारे बैठे हैं
संकोची उम्मीदें मेरी, ले आयीं
उसके दर तक, मगर दुआरे बैठे हैं
मेरा पैमाना, साकी भर ही देगा
इस हसरत में एक किनारे बैठे हैं
अब तो बदला सा लगता है मौसम भी
हम भी केंचुल आज उतारे बैठे हैं
सदियों की तन्हाई शायद टूटेगी
अबतक सारे जख्म संभारे बैठे हैं
हम 'आनंद' नहीं हैं उसका धोखा हैं
पहले ही किस्मत के मारे बैठे हैं
- आनंद
बहुत सुंदर गजल , अजीब सी शांति मिली इसे पढ़कर, मेरी और से ढेरो शुभकामनाये स्वीकार करे
जवाब देंहटाएंwaah bahut sundar ....
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