कितना सुखद है
कुछ नहीं सुनना
बहरापन ....
सन्नाटा
नीरवता
शून्य!
कोलाहल से दूर भाग जाना
कितना अच्छा होता है न ?
सुना ही नहीं मैंने ...
मौत घट रही थी कहीं गहरे अन्दर
या फिर शांति थी यह
मेले में समाधि थी
या फिर
मेरा निपट सूनापन !!
जितने बहाने थे मेरे पास मैंने सब को आजमा लिया
क्या कमी है ..
सब तो है मेरे पास
हर रिश्ता
हर 'सुख'
जरूरत की हर सामान
जीवन आराम से गुजारने लायक
फिर क्यूँ
चिड़ियों की चहचहाहट नहीं सुनाई देती
पास से निकलती हुई हवा
क्यूँ दूसरे देश की लगती है
सोंच में हूँ की
ऐसा क्यूँ हुआ है
इच्छाएं तो है
उम्मीद भी है
चाहत भी है ...
फिर ये सूनापन क्यूँ
अकेलापन क्यूँ भाता है
कहीं से कोई उत्तर नहीं
शायद कुछ प्रश्न...
हमेशा ही अनुत्तरित रहते हैं ..
आपको भी ..
शांति चाहिए... तो बहरे हो जाओ
जीना है.... तो गूंगे हो जाओ ...
चाहते हो कोई हाथ पकड ले
सहारे के लिए
तो
अंधे हो जाओ
मेरी तरह
क्योंकि दुनिया ...
गिरते को तो थाम लेती है
मगर समर्थ को गिराने का
कोई अवसर नहीं छोड़ती !
---आनंद द्विवेदी १५/०३/२०११
अकेलेपन का अहसास , बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई
जवाब देंहटाएंdhanyavaad Sunil ji !!
जवाब देंहटाएंजीवन में सूनापन भी कभी बहुत मायने रखता है ...आपने बहुत गंभीरता से अपने भावों को अभिव्यक्त किया है ...आपका आभार
जवाब देंहटाएंतन्हाई ... सूनापन ... बढ़िया है प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं"Good One" dad..!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंkewal raam ji aur neeraj ji bahut-bahut dhanyavaad.
जवाब देंहटाएं@ sumit..
जवाब देंहटाएंthanks dude !
आज हर इंसान क्यों इस अकेलेपन को महसूस करता है ....आपने सटीक शब्द दिए हैं ...
जवाब देंहटाएंSangeeta ji Abhar aapka ki aapne thoda sa time nikala !
जवाब देंहटाएंबहुत गूढ बात कही है…………अति उत्तम रचना।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संगीता जी,.. और वंदना जी आपके पधारने का धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
जवाब देंहटाएंThis is however a bit bogus,it can be expressed in other way
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