शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

जन्म दिन के बहाने




जन्म दिन के बहाने 



कान्हा !
मथुरा नहीं गया आज मैं ...
इधर नंद गांव में आगया  
सारे जीवन उस भूमि की तरफ पांव नहीं किया  
जहाँ संघर्ष का अंदेशा हो  
बचाते रहे हमेशा किसी न किसी तरह  ...जिलाए रखा आपने  
नंद बाबा के द्वारे कतार में खड़ा है
एक मंगता  
आम तौर पर उपहार देने की परंपरा है जन्मदिन पर  
सुदामा के बारे में सुना भी है  ...
पर नहीं है  
भाव का मुट्ठी भर तंदुल भी,  
देना सीखा होता तो  जरूर देता कोई न कोई उपहार  
काश अहं दे पाता  ... आपको भी अच्छा लगता  
पर मंगता प्रवत्ति से मजबूर हूँ आज भी  
समय के साथ कुछ सयाना भी हो गया हूँ  
आपको माँगूँगा एक दिन  
आपसे ही !

माधव !
मन करता है कि आपसे प्रेम हो जाए  
बहुत सुना है इस प्रेम के बारे में  
कभी जाना नहीं  
लोग कहते हैं कि  
खुद को मिटाना पड़ता है  
आग़ में जलना पड़ता है
'खुसरो दरिया प्रेम का' और 'रहिमन प्रेम तुरंग चढ़ी'
और भी जाने क्या क्या 
आपको लगता है  
मुझसे कुछ हो पायेगा ?
एक बार आप ट्राई करो न 
अब नहीं सहा जाता  माधव  
अब नहीं रहा जाता रे...छलिया !

खैर
मेनी मेनी रिटर्न्स ऑफ द डे  
जन्मदिन मुबारक हो ! 


१०-९-२०१२  

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपने सही किया है जो प्रेम का जिम्मा भी उसी पर डाल दिया..जब वही है तो वही जाने..

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  2. ये अन्दाज़ भी उसे बहुत भायेगा आनन्द जी :)

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  3. बहुत बढ़िया...
    जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाये
    :-)

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  4. सच्ची भाव.....सच्ची कामना...
    सुन्दर!!!

    कृष्ण जन्माष्टमी शुभ हो.

    अनु

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  5. बहुत अलग भाव लिए बिलकुल सार्थक रचना /जन्माष्टमी की बहुत बधाई /इतनी अच्छी रचना के लिए आपको बहुत बधाई /
    मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है /चार महीने बाद फिर में आप सबके साथ हूँ /जरुर पधारिये /

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  6. माधव !
    मन करता है कि आपसे प्रेम हो जाए
    बहुत सुना है इस प्रेम के बारे में
    कभी जाना नहीं
    लोग कहते हैं कि
    खुद को मिटाना पड़ता है
    आग़ में जलना पड़ता है

    मन चाहे और प्रेम हो जाये..!!!!!!
    प्रेम तो बस हो जाता है और
    हमें पता भी नहीं चलता...!
    जो लोग प्रेम में मिटते नहीं
    वो केवल बातें करते हैं प्रेम की...
    जो प्रेम में मिट गया,जल गया...
    वो बताने के लिए वापस नहीं आता..!!

    सुन्दर रचना..
    प्रेम से ओत-प्रोत..

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