थोड़ी दूर अकेले चलने की सोचें
आख़िर क्यों साँचे में ढलने की सोचें
आख़िर क्यों साँचे में ढलने की सोचें
सब अपनी अपनी राहों से जाएँगे
हम क्यों तेरी राह बदलने की सोचें
हम क्यों तेरी राह बदलने की सोचें
जितने गहरे जाना था हम डूब चुके
अब कोई तरकीब निकलने की सोचें
अब कोई तरकीब निकलने की सोचें
तेरी संगदिली भी एक मसळआ है
लेकिन हम क्यों संग पिघलने की सोचें
लेकिन हम क्यों संग पिघलने की सोचें
क्या जाने कब ज़ख़्मी हो ले मूरख दिल
इन ज़ख़्मों के साथ संभलने की सोचें
इन ज़ख़्मों के साथ संभलने की सोचें
आशिक़ तो बेचारा खुद ही मिट लेगा
हम क्यों कोई रस्म बदलने की सोचें
हम क्यों कोई रस्म बदलने की सोचें
कहते हैं 'आनंद' मिलेगा जलने में
ऐसा हो तो हम भी जलने की सोचें
ऐसा हो तो हम भी जलने की सोचें
– आनंद
बेहद उम्दा..
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