कुछ दिन बिना सहारे चलकर देखेंगे
खुद को थोड़ा और बदल कर देखेंगे
तुम को तो आता है मुझे सिखा दो ना
हम भी दुनिया भेष बदल कर देखेंगे
सपनों के हत्यारे निर्मम जीवन को
अपने सारे ख़्वाब कुचल कर देखेंगे
सीखेंगे ये हुनर तुम्ही से सीखेंगे
आग लगाकर साफ निकल कर देखेंगे
दर्द बहुत है लेकिन यही तमाशा हम
पंजों के बल उछल उछल कर देखेंगे
हमने भी 'आनंद' गँवाया, तुमने भी
अब क्या होगा खाक़ संभल कर देखेंगे
साँसों के रुकने तक चलना पड़ता है
हम भी सारे छल-बल करके देखेंगे
© आनंद
खुद को बदल लिया तो सबसे बड़ा सहारा मिल ही गया..जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि..
जवाब देंहटाएंनाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे।
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बहुत खूबसूरत शेर
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