शनिवार, 23 अप्रैल 2011

ख़त लिख रहा हूँ तुमको.....



न दर्द,   ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
ख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !

तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
हर ख्वाब लिखूंगा,  .. हर ऐतबार लिखूंगा  !

पत्थर को  भी भगवान,  बनाते रहे हैं जो , 
वो भाव ही लिक्खूंगा , वही प्यार लिखूंगा !  

दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा ,
गर नाम भी लूँगा, तो  'यादगार' लिखूंगा  !

सौ चाँद भी देखूं जो,   तुझे देखने के बाद ,
मैं एक - एक  कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !

अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी,
'आनंद' लिखूंगा,... या  अदाकार  लिखूंगा  !

     --आनंद द्विवेदी , २३-०४-२०११

9 टिप्‍पणियां:

  1. न दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
    ख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !bhut bhut khubsurat... waah...

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  2. तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
    हर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !

    सरल, सम्पूर्ण और सुन्दर ......शुभकामनायें !

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  3. सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
    मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !

    bahut komal ehsaas se bhari kavita ....sunder.

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  4. न दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
    ख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !

    वाह क्या बात है ..इसे बरकरार रखिये ..!

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  5. सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
    मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !

    वाह,बेहतरीन शेर.
    अच्छी ग़ज़ल कही है.

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  6. वाह क्या बात है| बेहतरीन शेर|

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  7. सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
    मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !

    बहुत सुन्दर...बहुत कोमल भाव...

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