न दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
ख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !
तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
हर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !
पत्थर को भी भगवान, बनाते रहे हैं जो ,
वो भाव ही लिक्खूंगा , वही प्यार लिखूंगा !
दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा ,
गर नाम भी लूँगा, तो 'यादगार' लिखूंगा !
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
मैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी,
'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !
'आनंद' लिखूंगा,... या अदाकार लिखूंगा !
--आनंद द्विवेदी , २३-०४-२०११
her rachna mein ek khasiyat milti hai
जवाब देंहटाएंन दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
जवाब देंहटाएंख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !bhut bhut khubsurat... waah...
तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा ,
जवाब देंहटाएंहर ख्वाब लिखूंगा, .. हर ऐतबार लिखूंगा !
सरल, सम्पूर्ण और सुन्दर ......शुभकामनायें !
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
जवाब देंहटाएंमैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
bahut komal ehsaas se bhari kavita ....sunder.
sundar prastuti ....bahut achchha laga padhkar
जवाब देंहटाएंन दर्द, ... न दुनिया के सरोकार लिखूंगा,
जवाब देंहटाएंख़त लिख रहा हूँ तुमको, सिर्फ प्यार लिखूंगा !
वाह क्या बात है ..इसे बरकरार रखिये ..!
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
जवाब देंहटाएंमैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
वाह,बेहतरीन शेर.
अच्छी ग़ज़ल कही है.
वाह क्या बात है| बेहतरीन शेर|
जवाब देंहटाएंसौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद ,
जवाब देंहटाएंमैं एक - एक कर, ...उन्हें बेकार लिखूंगा !
बहुत सुन्दर...बहुत कोमल भाव...