है जहाँ सुरभित पवन, वह देश मेरा
है जहाँ आज़ाद मन, वह देश मेरा
जो जगत को एक ही परिवार समझे
जो अतिथि समझे, अतिथि सत्कार समझे
हैं जहाँ संबंध भावों से भरे सब
साथ रहते हैं अभावों में खड़े सब
संस्कृति की नदी निर्झर बह रही है
ज्ञान पाओ ज्ञान बांटो कह रही है
आस्था से भरे हैं कण कण हमारे
देश पर कुर्बान हैं जीवन हमारे
हैं जहाँ सब सरल जन वह देश मेरा
है जहाँ सुरभित पवन वह देश मेरा
यहाँ हर सप्ताह ही त्यौहार आते
सामुदायिक भावना जो साथ लाते
फूँकते हम आज भी दस शीश वाले
लाख कोई व्यर्थ का अभिमान पाले
हैं अज़ानें सुबह की हम को जगाती
मंदिरों की घंटियाँ भी गीत गाती
'एक है रब' गा रही है गुरु की वाणी
एक हैं हम, एकता अपनी निशानी
भिन्न होकर एक मन, वह देश मेरा
है जहाँ आज़ाद मन, वह देश मेरा
है जहाँ सुरभित पवन, वह देश मेरा
- आनंद
है जहाँ आज़ाद मन, वह देश मेरा
जो जगत को एक ही परिवार समझे
जो अतिथि समझे, अतिथि सत्कार समझे
हैं जहाँ संबंध भावों से भरे सब
साथ रहते हैं अभावों में खड़े सब
संस्कृति की नदी निर्झर बह रही है
ज्ञान पाओ ज्ञान बांटो कह रही है
आस्था से भरे हैं कण कण हमारे
देश पर कुर्बान हैं जीवन हमारे
हैं जहाँ सब सरल जन वह देश मेरा
है जहाँ सुरभित पवन वह देश मेरा
यहाँ हर सप्ताह ही त्यौहार आते
सामुदायिक भावना जो साथ लाते
फूँकते हम आज भी दस शीश वाले
लाख कोई व्यर्थ का अभिमान पाले
हैं अज़ानें सुबह की हम को जगाती
मंदिरों की घंटियाँ भी गीत गाती
'एक है रब' गा रही है गुरु की वाणी
एक हैं हम, एकता अपनी निशानी
भिन्न होकर एक मन, वह देश मेरा
है जहाँ आज़ाद मन, वह देश मेरा
है जहाँ सुरभित पवन, वह देश मेरा
- आनंद
पुण्य भूमि भारत को शत शत नमन...
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता
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