मंगलवार, 27 मई 2014

धड़कन

मन करता है नाचने का
पाकर तुम्हारी आहट,
मुरझा जाता है मन
जरा ही देर में
तुम्हारे ओझल होते ही,
तुम कहते हो
मैं एक सा क्यों नहीं रहता हमेशा

मैं कहता हूँ
तुम पास क्यों नहीं रहते हमेशा,
हमेशा ही घटती-बढ़ती धडकनों के बीच
कोई कैसे रहे 
एक सा !


- आनंद

4 टिप्‍पणियां:

  1. एक सा तो उसके सिवा कुछ भी नहीं है यहाँ...कोई वही बन जाये तभी रह सकता है एक सा..

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  2. ये सम भाव योगियों के लिए ही भला है...

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  3. कैसे रह सकता है कोई एक सा - जहाँ का तहाँ ,स्थिर हो कर रहा है कभी कुछ यहाँ ?

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