रविवार, 9 सितंबर 2012

इसमें क्या दिल टूटने की बात है


इसमें क्या दिल टूटने की बात है
जख्म ही तो प्यार की सौगात है

जिक्र फिर उसका हमारे सामने
फिर हमारे इम्तेहां   की रात  है

दो घड़ी था साथ फिर चलता बना
चाँद  की  भी  दोस्तों सी जात है

साथ  अपने  रास्ते  ही  जायेंगे
सिर्फ़ धोखा मंजिलों की बात है

हैं हकीकत बस यहाँ तन्हाइयाँ
वस्ल तो दो चार दिन की बात है

कौन  कहता  है  कि  राहें बंद हैं
हर कदम पर इक नयी शुरुआत है

मत चलो छाते लगाकर दोस्तों
जिंदगी 'आनंद' की बरसात है |


- आनंद 


8 टिप्‍पणियां:

  1. दो घड़ी था साथ फिर चलता बना
    चाँद की भी दोस्तों सी जात है..
    वाह..

    बहुत सुन्दर..
    अनु

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  2. मत चलो छाते लगाकर दोस्तों
    जिंदगी 'आनंद' की बरसात है |


    जिंदगी अगर ''आनंद'' होती तो वो खुश होती ....पर यहाँ तो जिंदगी उदास है ...

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  3. हैं हकीकत बस यहाँ तन्हाइयाँ
    वस्ल तो दो चार दिन की बात है

    कौन कहता है कि राहें बंद हैं
    हर कदम पर इक नयी शुरुआत है

    बहुत सुंदर ...उम्दा गज़ल

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  4. कौन कहता है कि राहें बंद हैं
    हर कदम पर इक नयी शुरुआत है

    Very Inspiring lines.

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  5. दो घड़ी था साथ फिर चलता बना
    चाँद की भी दोस्तों सी जात है

    वाह क्या खूब कहा आनंद जी....

    बहुत सुन्दर...

    मत चलो छाते लगाकर दोस्तों
    जिंदगी 'आनंद' की बरसात है |


    और आखिरी की दो पंक्तियों ने तो समा ही बाँध दिया...

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  6. कौन कहता है कि राहें बंद हैं
    हर कदम पर इक नयी शुरुआत है

    मत चलो छाते लगाकर दोस्तों
    जिंदगी 'आनंद' की बरसात है |

    बहुत खूब...
    इसी का नाम जिंदगी है...
    तुम भी चलो...हम भी चलें
    चलती रहे जिंदगी....!!

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