इस नाज़ुक़ी से मुझको मिटाने का शुक्रिया
क़तरे को समंदर से मिलाने का शुक्रिया
मेरे सुखन को अपनी महक़ से नवाज़ कर
यूँ आशिक़ी का फ़र्ज़ निभाने का शुक्रिया
रह रह के तेरी खुशबू उमर भर बनी रही
लोबान की तरह से जलाने का शुक्रिया
इक भूल कह के भूल ही जाना कमाल है
दस्तूर-ए-हुश्न खूब निभाने का शुक्रिया
आहों में कोई और हो राहों में कोई और
ये साथ है तो साथ में आने का शुक्रिया
दुनिया भी बाज़-वक्त बड़े काम की लगी
फ़ुरसत में आज सारे ज़माने का शुक्रिया
जितने थे कमासुत सभी शहरों में आ गए
इस मुल्क को 'गावों का' बताने का शुक्रिया
ना प्यार न सितम न सवालात न झगड़े
'आनंद' बे-वजह जिए जाने का शुक्रिया
- आनंद
०४-०९-२०१२
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वाह...
जवाब देंहटाएंएक खूबसूरत गज़ल सुनाने का शुक्रिया....
सादर
अनु
जितने थे कमासुत सभी शहरों में आ गए
जवाब देंहटाएंइस मुल्क को 'गावों का' बताने का शुक्रिया
खूबसूरत गज़ल कहने का शुक्रिया
आपका शुक्रिया... शुक्रिया... शुक्रिया... इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए
जवाब देंहटाएंरह रह के तेरी खुशबू उमर भर बनी रही
जवाब देंहटाएंलोबान की तरह से जलाने का शुक्रिया
इक भूल कह के भूल ही जाना कमाल है
दस्तूर-ए-हुश्न खूब निभाने का शुक्रिया।
वाह आनंद जी क्या बात है वाकई आपका यह खूबसूरत गजल कहने का शुक्रिया...
ऐसी प्यारी गज़ल पढवाने का शुक्रिया ....
जवाब देंहटाएंकमाल की गज़ल है आनंद जी....
जवाब देंहटाएंहर शेर मुकम्मल..