सोमवार, 11 मार्च 2013

झूठी दुनिया

अपना कह दूँ
तो तुझको अच्छा नहीं लगता
गैर कह के बुलाऊं
तो कलेज़ा मुँह को आता है
हरजाई कह दूँ
तो खुद को अच्छा नहीं लगता
बावफ़ा और बेवफ़ा
ऐसी बातों पर खुद ही यकीन नहीं
अब ले दे कर
ज़ालिम और निर्मोही बचता है
कैसे पुकारूँ तुझे

कैसे सुनेगा तू
दुश्मन !

झूठ बोलती है सारी दुनिया
कि दिल की आवाज़
दिल तक पहुँचती है !

- आनंद 

गुरुवार, 7 मार्च 2013

सुनो स्त्रियों !

सुनो स्त्रियों !
मैं तुमको
किसी एक दिन तक नहीं समेटना चाहता
कि तुम तो हो निस्सीम
उतना... जितना स्वयं हो सकता है परमात्मा
जिसने रचा है हमको तुमको बिना भेद किये
बिना कोई विशेष दिन निर्धारित किये
तुम न कोई उपलब्धि हो
न कोई त्रासदी,
तुम बस तुम हो...
जैसे मैं हूँ,
जैसे है दिन-रात, नदियाँ, आकाश, पहाड़ और पेड़
जैसे है यह दुनिया और इसमें वो बहुत सारी चीज़े
जिनके बारे मे मैं जरा भी नहीं जानता
मैं देखना चाहता हूँ तुम्हारे होने को
एक प्रकृति की तरह
मैं जीना चाहता हूँ तुम्हारे साथ को
एक साथी की तरह
बिना तुम्हें महिमामंडित किये
बिना तुम्हारी सहजता को खतरा पैदा किये।

मैं चाहता हूँ तुम देखो
इस महिमामंडन के पीछे का सच,
देखो !
ये वही लोग हैं
जो तुम्हारे हिस्से के निर्णय भी स्वयं लेते हैं
तुम्हें महान बताकर
खुद महान बन जाते हैं
फिर ...एक दिन
ये ही निर्धारित करते हैं तुम्हारे लिये अच्छा और बुरा ।

- आनंद 

रविवार, 3 मार्च 2013

मेरे गाँव की औरतें ...



क्षमता से अधिक काम संभालेंगी औरतें
मुस्किल से जुबाँ तल्ख़ निकालेंगी औरतें

जब भी मिलेंगी एक दूसरे से लिपट कर
रो लेंगी अपना  दर्द बहा  लेंगी औरतें

सबको खिलाके जो भी बचा खा के उठ गयीं
खुद को खपा के वंश  को पालेंगी औरतें

कितना भी बात-बात में खिल्ली उड़ाइये
खा-खा के चोट घर को बचा लेंगी औरतें

तन पर पड़े सियाह निशाँ याकि मन के हों
मर्दों के सभी ऐब छुपा लेंगी औरतें

ले ले के नाम प्रेम का छलते रहो इन्हें
बिस्तर की जगह खुद को बिछा लेंगी औरतें

'आनंद' कितने दिन चलेगा तेरा ये फरेब
आखिर कभी तो होश में आ लेंगी औरतें

 -आनंद

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

केवल प्रेम से मिलते हो..


माधव !
सुना है तुम
केवल प्रेम से मिलते हो..
चाहत से नही..ना ?
तो,
मेरा एक काम करदो
जब तक
मुझे प्रेम ना हो जाए
तब तक
न तो मेरी प्रेम की प्यास मिटे
न ये चाहत...

देख लो!

मुझे
कई जन्म लग सकते हैं ...

- आनंद

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

अच्छे लोग ...


अच्छे लोग
अच्छे से करते हैं
बुरा भी

और रहते हैं हमेशा अच्छे,  
अच्छे लोग
हमेशा जागरूक रहते हैं ,

बुरे लोग
कर नहीं सकते
अच्छा,
समझ नहीं सकते
अच्छा-बुरा !

मिल जाते है 
अच्छे लोगों को
अक्सर 
दुःख स्वप्न की तरह

अच्छे लोग
चाहते हैं 
बुरे लोग और बुराई से मुक्त दुनिया ,

और बुरे लोग...
वे चाहते हैं
अच्छे लोगों जैसा बनना  !

-            - आनंद