अपना कह दूँ
तो तुझको अच्छा नहीं लगता
गैर कह के बुलाऊं
तो कलेज़ा मुँह को आता है
हरजाई कह दूँ
तो खुद को अच्छा नहीं लगता
बावफ़ा और बेवफ़ा
ऐसी बातों पर खुद ही यकीन नहीं
अब ले दे कर
ज़ालिम और निर्मोही बचता है
कैसे पुकारूँ तुझे
कैसे सुनेगा तू
दुश्मन !
झूठ बोलती है सारी दुनिया
कि दिल की आवाज़
दिल तक पहुँचती है !
- आनंद
तो तुझको अच्छा नहीं लगता
गैर कह के बुलाऊं
तो कलेज़ा मुँह को आता है
हरजाई कह दूँ
तो खुद को अच्छा नहीं लगता
बावफ़ा और बेवफ़ा
ऐसी बातों पर खुद ही यकीन नहीं
अब ले दे कर
ज़ालिम और निर्मोही बचता है
कैसे पुकारूँ तुझे
कैसे सुनेगा तू
दुश्मन !
झूठ बोलती है सारी दुनिया
कि दिल की आवाज़
दिल तक पहुँचती है !
- आनंद