मेरा पथ सुंदर करने को
कितने कष्ट उठाये तुमने
मेरे मन का तम हरने को
कितने दीप जलाये तुमने
तुमसा प्रेम निभाने वाला
इस धरती पर कौन मिलेगा
तुम सा सुंदर पुष्प दूसरा
अब उपवन में कहाँ खिलेगा
जब खुशबू का ज्ञान नहीं था
तब भी पल महकाए तुमने ,
मेरे मन का तम हरने को, कितने दीप जलाये तुमने |
'मैं हूँ' 'मेरा है' जब तक था
तब तक तुमको समझ न पाया
फिर भी कदम कदम पर हमदम
तुमने सच का बोध कराया ,
गीता के श्लोक हो गए
जो जो गीत सुनाये तुमने |
मेरे मन का तम हरने को , कितने दीप जलाये तुमने |
तेरी राहों में ये जीवन
अपने आप समर्पित प्रियतम
अंतर में अद्वैत प्रकाशित
अब तो न मैं हूँ और न तुम
प्रेम शांति और अहोभाव के
मुझमे बीज जगाये तुमने |
मेरा पथ सुंदर करने को, कितने कष्ट उठाये तुमने |
मेरे मन का तम हरने को, कितने दीप जलाये तुमने ||
- आनंद द्विवेदी - १३/११/२०११.
अह!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत!!
सरस, गेय और सुन्दर रचना।
मेरे मन का तम हरने को कितने दीप जलाये तुमने ...
जवाब देंहटाएंयह एहसास भी हर दिल में कहाँ पलता है!
सुन्दर गीत !
'मैं हूँ' 'मेरा है' जब तक था
जवाब देंहटाएंतब तक तुमको समझ न पाया
फिर भी कदम कदम पर हमदम
तुमने सच का बोध कराया ,
गीता के श्लोक हो गए
जो जो गीत सुनाये तुमने |
मेरे मन का तम हरने को , कितने दीप जलाये तुमने |
waaah
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं'मैं हूँ' 'मेरा है' जब तक था
जवाब देंहटाएंतब तक तुमको समझ न पाया
फिर भी कदम कदम पर हमदम
तुमने सच का बोध कराया ,
गीता के श्लोक हो गए
जो जो गीत सुनाये तुमने |
मेरे मन का तम हरने को , कितने दीप जलाये तुमने |
Gazab kee panktiyan hain!
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंसमर्पण और भक्ति का अनोखा संगम!
गुनगुनाने लायक पंक्तियाँ..सरल,सुन्दर.
जवाब देंहटाएंaadarniy sir
जवाब देंहटाएंsarvpratham mere blog par aane ke liye aapka hardik abhinandan.
bahut hi behatreen prastuti.
sambhavtah aaj ki is bhag -doud me insaan uske hi astitv ko bhulta sa ja raha hai.han! ye puraani kahavat aaj bhi charitarth hai
sukh me sumiran na kiya
dukh me kiya hai yaad-----
aapki rachna ki har ek pankti barbas hi us auor khinch kar le jaati hai.
bahut bahut hibadhiya v antarman ko chhoone wali prastuti
hardik badhai
poonam
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंकल 16/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।
धन्यवाद!
सुन्दर निश्छल भाव पूर्ण अद्भुत रचना...
जवाब देंहटाएंतेरी राहों में ये जीवन
जवाब देंहटाएंअपने आप समर्पित प्रियतम
अंतर में अद्वैत प्रकाशित
अब तो न मैं हूँ और न तुम
प्रेम शांति और अहोभाव के
मुझमे बीज जगाये तुमने |
मेरा पथ सुंदर करने को, कितने कष्ट उठाये तुमने |
मेरे मन का तम हरने को, कितने दीप जलाये तुमने ||
आपकी हर कविता की खासियत है...
आनंद.....
जो भाव आप आरम्भ में ले कर चलते हैं
अंत तक कहीं भी वह छूटता नहीं है...!!
इसलिए कई बार द्विविधा में पड़ जाती हूँ कि
किन पंक्तियों को चुनूँ प्रसंशा के लिए....!!
क्योंकि एक की तारीफ करूँ तो दूसरे के साथ नाइंसाफी हो जायेगी !!
पूरी रचना के लिए बधाई......!!
अद्वितीय......!!!
मेरे मन का तम हरने को
जवाब देंहटाएंकितने दीप जलाये तुमने
सुन्दर रचना!
इस संसार में प्रेम करने वाला ही अमूल्य होता है. उसी की वाणी सुंदरतम वाणी होती है. बहुत ही सुंदर भावमयी रचना.
जवाब देंहटाएंसदा जी की हलचल ने हमें यहाँ है पहुँचाया
जवाब देंहटाएंआपको पढकर आनंद जी,मन आनद से हर्षाया.
समय मिले तो आप भी मेरे ब्लॉग पर आईयेगा
आनंद की खुशबू से मेरे ब्लॉग को भी महकाईयेगा.
अपना पथ सुन्दर करने के लिए मैंने आपके ब्लॉग का अनुसरण कर लिया है जी.
जवाब देंहटाएंमेरे मन का तम हराने को कितने दीप जलाये तुमने ? इसी तरह सैकड़ों दीप आप जलाते रहें ऐसी अनेक शुभ कामनाएं .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भाव.....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भावों का समन्वय और सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंमेरा पथ सुंदर करने को, कितने कष्ट उठाये तुमने |
जवाब देंहटाएंमेरे मन का तम हरने को, कितने दीप जलाये तुमने ||
yahi to asli pyar hai.....
कृतज्ञता के सुंदर भाव ..
जवाब देंहटाएंदीप यूँ ही जलता रहे.
जवाब देंहटाएंbehatarin prastuti
जवाब देंहटाएंbhavo ka bahut hi sundar chitran hai.
जवाब देंहटाएंsundar prastuti...
वाह....प्रेम रस में रची बसी रचना
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंpadh kar man ko achh alaga, sunder rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen