रविवार, 13 नवंबर 2011

मेरा पथ सुंदर करने को ..



मेरा पथ सुंदर करने को
कितने कष्ट उठाये तुमने
मेरे मन का तम हरने को
कितने दीप जलाये तुमने

तुमसा प्रेम निभाने वाला
इस धरती पर कौन मिलेगा
तुम सा सुंदर पुष्प दूसरा
अब उपवन में कहाँ खिलेगा
जब खुशबू का ज्ञान नहीं था
तब भी पल महकाए तुमने ,
मेरे मन का तम हरने को, कितने दीप जलाये तुमने |

'मैं हूँ' 'मेरा है' जब तक था
तब तक तुमको समझ न पाया
फिर भी कदम कदम पर हमदम 
तुमने सच  का बोध कराया ,
गीता के श्लोक हो गए
जो जो गीत सुनाये तुमने |
मेरे मन का तम हरने को , कितने दीप जलाये तुमने |

तेरी राहों में ये जीवन
अपने आप समर्पित प्रियतम
अंतर में अद्वैत प्रकाशित
अब तो न मैं हूँ और न तुम
प्रेम शांति और अहोभाव के
मुझमे बीज जगाये  तुमने |
मेरा पथ सुंदर करने को, कितने कष्ट उठाये तुमने |
मेरे मन का तम हरने को, कितने दीप जलाये तुमने ||

 - आनंद द्विवेदी - १३/११/२०११.

26 टिप्‍पणियां:

  1. अह!!
    अद्भुत!!
    सरस, गेय और सुन्दर रचना।

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  2. मेरे मन का तम हरने को कितने दीप जलाये तुमने ...
    यह एहसास भी हर दिल में कहाँ पलता है!
    सुन्दर गीत !

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  3. 'मैं हूँ' 'मेरा है' जब तक था
    तब तक तुमको समझ न पाया
    फिर भी कदम कदम पर हमदम
    तुमने सच का बोध कराया ,
    गीता के श्लोक हो गए
    जो जो गीत सुनाये तुमने |
    मेरे मन का तम हरने को , कितने दीप जलाये तुमने |
    waaah

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. 'मैं हूँ' 'मेरा है' जब तक था
    तब तक तुमको समझ न पाया
    फिर भी कदम कदम पर हमदम
    तुमने सच का बोध कराया ,
    गीता के श्लोक हो गए
    जो जो गीत सुनाये तुमने |
    मेरे मन का तम हरने को , कितने दीप जलाये तुमने |
    Gazab kee panktiyan hain!

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  6. सुन्दर रचना!
    समर्पण और भक्ति का अनोखा संगम!

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  7. गुनगुनाने लायक पंक्तियाँ..सरल,सुन्दर.

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  8. aadarniy sir
    sarvpratham mere blog par aane ke liye aapka hardik abhinandan.
    bahut hi behatreen prastuti.
    sambhavtah aaj ki is bhag -doud me insaan uske hi astitv ko bhulta sa ja raha hai.han! ye puraani kahavat aaj bhi charitarth hai
    sukh me sumiran na kiya
    dukh me kiya hai yaad-----
    aapki rachna ki har ek pankti barbas hi us auor khinch kar le jaati hai.
    bahut bahut hibadhiya v antarman ko chhoone wali prastuti
    hardik badhai
    poonam

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  9. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    कल 16/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।

    धन्यवाद!

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  10. सुन्दर निश्छल भाव पूर्ण अद्भुत रचना...

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  11. तेरी राहों में ये जीवन
    अपने आप समर्पित प्रियतम
    अंतर में अद्वैत प्रकाशित
    अब तो न मैं हूँ और न तुम
    प्रेम शांति और अहोभाव के
    मुझमे बीज जगाये तुमने |
    मेरा पथ सुंदर करने को, कितने कष्ट उठाये तुमने |
    मेरे मन का तम हरने को, कितने दीप जलाये तुमने ||

    आपकी हर कविता की खासियत है...

    आनंद.....
    जो भाव आप आरम्भ में ले कर चलते हैं
    अंत तक कहीं भी वह छूटता नहीं है...!!
    इसलिए कई बार द्विविधा में पड़ जाती हूँ कि
    किन पंक्तियों को चुनूँ प्रसंशा के लिए....!!
    क्योंकि एक की तारीफ करूँ तो दूसरे के साथ नाइंसाफी हो जायेगी !!
    पूरी रचना के लिए बधाई......!!
    अद्वितीय......!!!

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  12. मेरे मन का तम हरने को
    कितने दीप जलाये तुमने

    सुन्दर रचना!

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  13. इस संसार में प्रेम करने वाला ही अमूल्य होता है. उसी की वाणी सुंदरतम वाणी होती है. बहुत ही सुंदर भावमयी रचना.

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  14. सदा जी की हलचल ने हमें यहाँ है पहुँचाया
    आपको पढकर आनंद जी,मन आनद से हर्षाया.
    समय मिले तो आप भी मेरे ब्लॉग पर आईयेगा
    आनंद की खुशबू से मेरे ब्लॉग को भी महकाईयेगा.

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  15. अपना पथ सुन्दर करने के लिए मैंने आपके ब्लॉग का अनुसरण कर लिया है जी.

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  16. मेरे मन का तम हराने को कितने दीप जलाये तुमने ? इसी तरह सैकड़ों दीप आप जलाते रहें ऐसी अनेक शुभ कामनाएं .

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  17. खूबसूरत भावों का समन्वय और सुन्दर रचना ..

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  18. मेरा पथ सुंदर करने को, कितने कष्ट उठाये तुमने |
    मेरे मन का तम हरने को, कितने दीप जलाये तुमने ||
    yahi to asli pyar hai.....

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  19. वाह....प्रेम रस में रची बसी रचना

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