मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

मैं ही मिला हूँ उससे गुनहगार की तरह


उसने तो किया प्यार मुझे 'प्यार' की तरह,
मैं ही मिला हूँ उससे गुनहगार की तरह !

कुछ  बेबसी  ने  मेरे  पांव  बाँध  दिए थे,
कुछ मैं भी खड़ा ही रहा दीवार की तरह !

इस दिल में सब दफ़न है चाहत भी आरजू भी ,
मत खोदिये मुझे, किसी मज़ार  की तरह !

देने को कुछ नही था मिलता मुझे कहाँ से
दुनिया के क़ायदे हैं, बाज़ार की  तरह  !

खारों पे ही खिला किये हैं गुल ये सोंचकर,
मैं जिंदगी को जी रहा हूँ खार की तरह  !

खामोश निगाहों की तहरीर पढ़ सको तो,
'आनंद' भी मिलेगा तुम्हे यार की तरह !!

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

आज तक नही मिला है मुझे.....



आप सा यार आज तक नही मिला है मुझे,
आपका प्यार आज तक नही मिला है मुझे!

आपको चाँद सितारों पे ढूंढ  आया हूँ,
दरो- दीवार आज तक नही मिला है मुझे!

बेवफाई के बाद भी, जो मुस्कराया हो,
वो अदाकार आजतक नही मिला है मुझे!

भूख के बावजूद, जो ग़ज़ल सुनाता हो,
ऐसा फ़नकार आजतक नही मिला है मुझे!

वक़्त मिलता तो, तेरा वक़्त बदल देता मैं,
वक़्त तू यार आज तक नही मिला है मुझे!

जब मिलेगा यही 'आनंद' मिलेगा  तुमको ,
ये  ऐतबार आजतक नही मिला है मुझे !!

          --आनंद द्विवेदी ०३/०२/२०११

मेरे गीत !





 मेरे गीत दर्द की निशानी हैं,
मेरे गीत प्यार की रवानी हैं,
मेरे गीत अनकही कहानी हैं,
मेरे गीत मेरी जिंदगानी हैं !
               मेरे गीत मेरे कितने पास हैं,
               किन्तु जाने क्यों जरा उदास हैं,
               मेरे दिल ने मेरा साथ छोड़ दिया,
               मेरे गीत अब भी मेरे साथ हैं,
मेरे गीत आपकी जुबानी हैं,
मेरे गीत सिन्धु की मथानी हैं!

               मेरे गीत पंखुड़ी प्रसून की,
               मेरे गीत वादियाँ, सुकून की,
               सुख के मंद झोंके मेरे गीत हैं,
               मेरे गीत आंधियाँ जूनून की ,
मेरे गीत सब्र की कहानी हैं,
मेरे गीत 'चश्मनम' का पानी हैं !.

                मेरे गीत गूंजते प्रभात में,
                खिलखिलाहटों में आर्तनाद में,
                मेरे गीत हमसफ़र हैं दर्द के,
                साथ रहें हर्ष में, विषाद में,
मेरे गीत चांदनी सुहानी हैं,
मेरे गीत आज पानी-पानी हैं!

               मेरे गीत गुनगुनाइए जनाब,
               मेरे साथ-साथ गाइये जनाब,
               आपको नशा जरूर आएगा,
               मेरे गीतों में घुली हुई शराब,
मेरे गीत गर्दिशे जवानी हैं,
मेरे गीत ग़म की राजधानी हैं !
मेरे गीत अनकही कहानी हैं,
मेरे गीत मेरी जिंदगानी हैं !!

     --आनन्द द्विवेदी ०३/०२/२०११

शनिवार, 22 जनवरी 2011

तुम मिलो तो मुझको !



तुम जो रूठे , तो हम मनाएंगे, तुम मिलो तो मुझको !
एक मुद्दत के ग़म  मिटायेंगे,  तुम मिलो तो मुझको !

प्यार तुमने किया सितम की तरह,
बस निभाते रहे,  कसम की तरह ,
कसमें - वादे, सभी निभायेंगे ....!  तुम मिलो तो मुझको !

उन फिजाओं की याद आती है ,
आज भी आँख डबडबाती है ,
तुम मिलोगे... तो मुस्कराएँगे ...!  तुम मिलो तो मुझको !

एक खामोश झील सा जीकर,
थक गया हूँ मैं दर्द पी-पीकर ,
झील में ...हलचलें जगायेंगे ....!  तुम मिलो तो मुझको  !

वो दरख्तों की छाँव कहती है ,
बिन तेरे वो उदास  रहती है ,
फिर वही सिलसिले चलाएंगे ....! तुम मिलो तो मुझको  !

मौत से बस जरा सा, तेज़ चलो,
दो घड़ी पहले , जरा आके मिलो ,
उम्र भर के,  गिले मिटायेंगे   !    तुम मिलो तो मुझको !

    --आनन्द द्विवेदी  २२/०१/२०११

सोमवार, 17 जनवरी 2011

असमंजश !


रख़ तो दूं,
तुम्हारे स्निग्ध अधरों पर,
अपने संतप्त होंठ
किन्तु क्या होगा इससे
क्या मिल जाएगा मुझे
वह 'सच'
जिसे मैं पाना चाहता हूँ ?

जाम और सागर....
दोनों व्यर्थ हैं मेरे लिए
क्योंकि मझे प्यास नही भूख लगी है

देख तो लूँ ,
एक बड़ा हसीन सपना मैं,
प्यारा-प्यारा, मीठा-मीठा
किन्तु रोकते हैं मुझे कदम-कदम पर
दुनिया के सच
ऐसा करने से,
तब मैं देखता हूँ बेबसी अपनी
एक इंसान की....

भा तो जाएँ
मुझे भी प्यार के दो क्षण ...
किन्तु
मैं देखता हूँ उन्हे..
कड़वे सत्य के पास रहकर
जो अच्छा है मीठे झूठ से ...
हुंह
जानलेवा !

खा तो लूँ
कसमें दो चार कल की मैं
वादे, कुछ प्यार भरे
किन्तु,
क्या होगा कल?
टूट जाऊंगा
इन्ही कसमों
वादों के साथ मैं भी
इन्ही की तरह !!

 --आनन्द द्विवेदी १७/०१/२०११