गुरुवार, 5 सितंबर 2013

बेवकूफ़




(एक)

तुमसे आगे नहीं बढ़ पाई
न मेरी कविता
न मैं,
हाँ बढ़ गया वक़्त
एक दिन
धीरे से कान में कहता हुआ
'बेवकूफ़'...
मैंने चौंककर खुद को देखा
मुस्कराया
आश्वस्त हुआ
कि आख़िरी वक़्त में कुछ तो रहेगा
पहचान के लिए
तुम न सही
तुमसे मिला कोई नाम ही सही  !

(दो)

मुझे शांति चाहिए
बेशक उसका नाम मृत्यु हो
तुम्हें संघर्ष चाहिए
बेशक उसका नाम जीवन हो
तुम मुझे भगोड़ा कहते हो
और मैं तुम्हें 'लालसी'
दोनों
जितना सही हैं
उतना ही गलत
तुमसे विछोह
शांति के बाद का संघर्ष है
तुम्हारा साथ
संघर्ष के बाद की शांति है
जीवन के लिए दोनों जरूरी हैं
ठीक हम दोनों के साथ की तरह !

- आनंद

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 07/089/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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  2. भाई
    बेहतरीन रचना
    यदि कुछ उल्टा कर दें तो भी अनर्थ नही होगा
    इस तरह

    'बेवकूफ़'...
    धीरे से कान में कहता हुआ
    बढ़ गया वक़्त एक दिन
    न मैं,
    न मेरी कविता
    तुमसे आगे नहीं बढ़ पाती / पाई
    पाती की जगह पाई लिख सकते हा

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  3. थैंक्स बहन ... 'पाई' कर दिया है एक शब्द ने काफी अच्छा असर डाला है आपका आभार !

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  4. achhi rachna....
    kintu paayi ki jageh paaye ho to adhik sahi hoga.... kyunki aap purush hain... paayi kavita ke liye to sahi hai kintu aap ke liye nahin... paaye dono ke liye upyukt hoga.

    shubhkaamnaayen!
    Anju Varma

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  5. doosri rachna bhi bahut achhi....
    tumse milna sangharsh ke baad ki shanti hai aur tumse vichhoh shanti ke baad ka sangharsh... bahut achhi panktiyaan ... agr aap inka kram badal den jaisa maine ooper likha to meri drishti me rachna aur prabhavee ho jaayengi.

    yeh sirf ek pathak ki pratikriya hai. kripaya ise anyatha na leejiyega.
    dhanyavaad

    Anju Varma

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