बुधवार, 28 अगस्त 2013

कृष्णा …. माधवा !




कृष्णा …. माधवा !
चराचर नायक ….
देख रहे हो न अपनी लीला भूमि को
देख रहे होगे जरूर … धर्म के क्षत्रपों को
और शासकों को भी
योगियों के मन में भोग की आतुरता भी
और आमजन की निरीहता भी
सुनी ही होगी दामिनी की आर्त पुकार
आखिर अपनी कृष्णा की भी तो सुनी थी आपने
अपनों की तो सभी सुन लेते हैं
आपतो अहेतुकी कृपा करने वाले
जीव मात्र पर करुणा  रखने वाले परम कृपालु हैं
भारत वर्ष को किस पाप का दंड मिल रहा है प्रभु !
हे कण कण में व्याप्त मेरे कान्हा
ये वक्त मुरली की तान का है या कि सुदर्शन चक्र का …?
आज सांकेतिक नहीं ….
सच में आ जाओ भक्तवत्सल
अवतरित हो जाओ हम चलती फिरती लाशों में
ताकि हर किशोर, तरुण, आबालवृद्ध
उठा ले चक्र
आज बहुत जरूरत है एक महासमर की
निष्काम कर्म योग भूल गया है यह देश
अब यहाँ भोग को ही
जीवन मान लिया गया है प्रभो
और पतन को ही
उन्नति !!


जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ माधव !
बहुत बक बक करने लगा हूँ न आजकल ?
पर क्या करूँ
अंतर की इस व्यथा को तुमसे न कहूँ
तो किससे कहूँ !!

- आनंद





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