सोमवार, 7 सितंबर 2015

जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा

जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा
मन भर लेगा
किसी न किसी तरह
खाली जगह
गढ़ लेगा हज़ारों बहाने
बिखरे पड़े रह जायेंगे मगर
कभी न भरने वाले
सन्नाटे और …
उनमें बजने वाली तुम्हारी पदचापें,
जितनी बार तुम याद आओगे
हर बार कुछ न कुछ 
छनाक से टूटेगा
धमनियों में गड़ेंगी किरचने
रिसेगा लहू बदन के अंदर
होंठ मुस्कराकर
बार बार बोलेंगे झूठ
मन फिर फिर जुगाड़ में लगेगा
किसी आदर्श में ढकने को  
अपनी हार,
ऐसे में बहुत काम की लगेंगी
जीवन, कर्तव्य, धर्म और न्याय की सुनी सुनाई बातें
हृदय हर बार चीखेगा
रोयेगा छटपटायेगा
जीवन निःसार हो जायेगा

मगर.…
जल्दी ही सब ठीक हो जायेगा

- आनंद



सोमवार, 24 अगस्त 2015

चींटी और पहाड़

मैं आज भी वही हूँ
तुम्हें अपना भगवान मानता हुआ
सहज स्वतंत्र, बंधन हीन, अपने मन का, बेपरवाह
कौतुकी, मायामय, सबकुछ खेल समझने वाला
अलभ्य अगम्य किन्तु प्रिय,

तुम आज भी वही हो
पाषाण !

- आनंद




मंगलवार, 14 जुलाई 2015

दुनिया मन का खेल है ... दोहे !

दुनिया मन का खेल है, मनवा रहा खेलाय
मन पाये बौराय जग, मन मारे  चिल्लाय

तूने देखा जगत को केवल स्याह सफ़ेद
इन दोनों के बीच में, छुपा प्रेम का भेद

जीवन तेरी राह में, थोथा दिया गँवाय
हरदम तेरे सूप ने मुझको दिया उड़ाय

चोट्टी यादें रोक लें कुछ ना कुछ अहसास
संबंधों का  खात्मा,  है  कोरी  बकवास

होना न होना तेरा, फ़र्क़ रहा क्या खास
जैसी दुपहर जेठ की वैसा ही मधुमास

आते जाते राह में राही मिलें अनेक
सबको दुआ-सलाम कर राह आपनी देख

- आनंद  

रविवार, 14 जून 2015

विक्रम बैताल

एक न एक दिन खाली करनी ही होंगी 
वो सारी दीवारें
जिनमें टंगे टंगे धूल खा रहे हैं
कल्पनाओं के अगनित चित्र
और ढेर सारी यादें, 
मगर 
घर में नहीं बची है
इन्हें रखने के लिए एक भी सन्दूक
जैसे यादों में
नहीं बची है अब 
एक भी उम्मीद,

बैताल सी यादें
अक्सर कुछ न कुछ पूछती हैं मुझसे
मैं अक्सर पकड़ा देता हूँ उनको भी वही जवाब
जिनसे हमेशा बहलाया करता हूँ खुद को
मसलन
तुम मेरे होते तो मेरे होते
वर्तमान ही सत्य है बाकी सब भ्रम है
जीवन एक अभिनय है
अभिनय में न कोई मिलता है... न बिछुड़ता
आदि आदि ,

यादें फिर भी नहीं जाती
किसी वृक्ष पर
यादें फिर भी नहीं करती
मेरे सर के टुकड़े टुकड़े,

मैं और यादें
आज के विक्रम बैताल हैं
एक दूसरे के बिना अस्तित्वहीन
एक दूसरे के साथ को अभिशप्त

- आनंद


शनिवार, 6 जून 2015

होना न होना

जब जब मैं यह देखता हूँ
जीवन में क्या क्या है मेरे पास
तुम्हारा नहीं होना
हमेशा साथ होता है

तुम्हारी इस तदबीर पर
बेसाख्ता मुस्कराता हूँ ,
मान लेता हूँ
कि तुम हो बाबा... आज भी
मुझमें सबसे ज्यादा !


- आनंद