जिसकी वजह से लोग गए अपनी जान से
वो तीर चला ही नहीं उसकी कमान से
मरता नहीं है कोई किसी के लिये यहाँ
उसने कही ये बात बड़े इत्मिनान से
अच्छा है तू किसी का तलबग़ार न रहे
मैंने भी दुआ माँग ली धीमी ज़बान से
अक्सर बड़े लिहाज़ से उसने सुना मुझे
वो पल, रहे हैं उसके लिए इम्तिहान से
शेरों के लिए जिसको बनाया था एक दिन
तुमने गज़ाले मार दिए उस मचान से
डर है कहीं 'आनंद' न खो जाए आपसे
ये शै नहीं मिलेगी किसी भी दुकान से
- आनंद
वो तीर चला ही नहीं उसकी कमान से
मरता नहीं है कोई किसी के लिये यहाँ
उसने कही ये बात बड़े इत्मिनान से
अच्छा है तू किसी का तलबग़ार न रहे
मैंने भी दुआ माँग ली धीमी ज़बान से
अक्सर बड़े लिहाज़ से उसने सुना मुझे
वो पल, रहे हैं उसके लिए इम्तिहान से
शेरों के लिए जिसको बनाया था एक दिन
तुमने गज़ाले मार दिए उस मचान से
डर है कहीं 'आनंद' न खो जाए आपसे
ये शै नहीं मिलेगी किसी भी दुकान से
- आनंद
सही कहा आपने .......कोई नहीं मरता यहाँ किसी के वास्ते
जवाब देंहटाएंजब तिल तिल के मर रहें है हम अपने आप से ...
सुन्दर ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंExcellent beat ! I would like to apprentice whilst you amend your website, how could i subscribe for a weblog site?
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जवाब देंहटाएंबहुत खूब .सुन्दर प्रस्तुति. आपको होली की हार्दिक शुभ कामना .
theek bat,kaun marta hae kiske liye,apni maut hi marna hota hae har kisi ko
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा आपनें और सही बात है कौन किसके लिए मरेगा खुद के लिए जीने से ही फुर्सत नहीं हैं.
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