कहाँ लगाऊं अबीर ..
कहाँ से रंगू तुमको
अब मुझसे ..
ये भी नहीं होगा
मेरा संकोच... मेरा दुश्मन बन बैठा है
इससे पहले कि मैं
तुझे आंसुओं से ही नहला दूँ
होली मुबारक हो चितचोर !!
जाओ
बरसानेवाली के रंग में रंगे हो तुम
पहले से ही,
ऐसे में
मैं क्या और मेरा रंग क्या
पर मैं भी ना
सारी उम्र ..ऐसे ही
अबीर लिए
खड़ा रहूँगा
ध्यान रखना
रंगना तुम्हें ही पड़ेगा !
- आनंद
कहते है होली के रंगों में हर रंग छिप जाता है ...अपने कान्हा से ये अनबूझी...कहा-सुनी कब तक चलेगी :)
जवाब देंहटाएंबहुत सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !
जवाब देंहटाएंले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.
मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है
सुंदर भावपूर्ण सहजता से कही गयी गहरी बात
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
होली की शुभकामनायें
aagrah hai mere blog main bhi sammlit ho
aabhar