मुझे तुम्हारी आहट सुनाई पड़ी थी
पर मैं नींद में था
मैंने सोंचा भी कि आये हो तो
ख़्वाब तक तो आओगे ही
और मैं निश्चिन्त था
पर तुम कम थोड़े हो,
बाहर से ही लौट गए न
चलो अच्छा हुआ
वर्ना तुम जान लेते कि
किसी की पलकों में आकार ठहरना
किसी का सपना बन जाना
कैसा लगता है
मैं दुखी हूँ तुम्हारे लिए
पर मैं खुश हूँ हमारे लिए
न तुम बदले
न मैं
और न नींद के पक्ष में खड़ी
ये दुनिया !
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मुझे नींद में चलने की आदत है
कई बार मैं
वहाँ चला जाता हूँ
जहाँ मुझे नहीं जाना चाहिए
और कई बार तो
वहाँ तक ... जहाँ से
लौटना नामुमकिन है !
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मुंदी पलकों पर
तुम्हारे होठों का एक एहतियात भरा खत...
कुछ लिपियाँ
बंद आँखों के लिए ही ईज़ाद की गयी हैं
आँख खोलो तो
सारे कमरे में हिना की खुशबू
ख़्वाब और महक की यह जुगलबंदी ...?
झूठे !
तुम अभी भी ख्वाबों में आते हो न !
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- आनंद
३-६ अगस्त २०१२
वाह ... बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंkhoobsurat kavita
जवाब देंहटाएंBahut,bahut sundar!
जवाब देंहटाएंवाह..............
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
सच्ची..........न टूटे कभी,ख़्वाबों की लड़ी..
सादर
अनु
आँख खोलो तो
जवाब देंहटाएंसारे कमरे में हिना की खुशबू
ख़्वाब और महक की यह जुगलबंदी.....
हाँ....
तुम आज भी ख्वाबों में आते हो...!!
बहुत सुन्दर...!!
नींद , ख्वाब , तुम , याद ...
जवाब देंहटाएंक्या बात !
behad khoobsurat!
जवाब देंहटाएंकल 08/08/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' भूल-भुलैया देखी है ''
मुंदी पलकों पर
जवाब देंहटाएंतुम्हारे होठों का एक एहतियात भरा खत...
कुछ लिपियाँ
बंद आँखों के लिए ही ईज़ाद की गयी हैं...
वाह...! खूबसूरत...!!
शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरा ....बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी ....
जवाब देंहटाएंआँख खोलो तो
जवाब देंहटाएंसारे कमरे में हिना की खुशबू
ख़्वाब और महक की यह जुगलबंदी ...?
झूठे !
तुम अभी भी ख्वाबों में आते हो न !
अगर वो झूठ मूठ भी ख्याब में ना आए तो ....वो ख्याब भी अधूरा सा लगेगा ....
कुछ प्रेम के कुछ ... न जाने कौन से पर जाने पहचाने ... एहसास लिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
wah..
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों का हार्दिक आभार !
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