कब बदली क़ायनात, पता ही नहीं चला !
यूँ मयकशी से मेरा, कोई वास्ता न था
कब हो गयी शुरुआत, पता ही नहीं चला !
उस एक मुलाकात ने क्या क्या बदल दिया
'वो' बन गये हयात , पता ही नहीं चला !
दो चार घड़ी बाहें, दो चार घड़ी सपने
कब बीत गयी रात, पता ही नहीं चला !
मीठी सी चुभन वाली, हल्की सी कसक वाली
कब हो गयी बरसात , पता ही नहीं चला !
हम कब से आशिकी को, बस दर्द समझते थे
कब बदले ख़यालात , पता ही नहीं चला !
'आनंद' को मिलना था, इक रोज़ बहारों से
कब बन गए हालात, पता ही नहीं चला !
आनंद द्विवेदी ०१/०६/२०११
मीठी सी चुभन वाली , हल्की सी कसक वाली ,
जवाब देंहटाएंकब हो गई बरसात , पता ही नहीं चला |
..................प्यारा शेर
...................बहुत रूमानी ग़ज़ल है द्विवेदी जी !
बहुत बहुत खूब....दिल से लिखी ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंआपकी ग़ज़ल का एक एक शब्द दिल के करीब सा लगता है
वो कब अपना सा बनके उभरता है ,पता ही नहीं चलता
लगती है दिल कि ये आवाज़ पर कब से हुई
ये पता ही नहीं चलता है
हम कब से आशिकी को, बस दर्द समझते थे
जवाब देंहटाएंकब बदले ख़यालात , पता ही नहीं चला !bahut hi saral shabdon main likhi hui saarthak ,sunder najm badhaai.
वाकई कब प्यार हो जाता है पता नहीं चलता... सुन्दर ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंहम कब से आशिकी को, बस दर्द समझते थे
जवाब देंहटाएंकब बदले ख़यालात , पता ही नहीं चला !
सही समय पर समझे आप , बस ताहि कहूँगा खुबसूरत गज़ल मुबारक हो
रूमानियत लिए प्रेम पगे भाव...... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंye rachna kab dil mai utar gayi pata he nahi chala
जवाब देंहटाएंbahut sundar hai
जवाब देंहटाएं'आनंद' को मिलना था, इक रोज़ बहारों से
जवाब देंहटाएंकब बन गए हालात, पता ही नहीं चला hum bhi aanand se mil liye
सच बंधुवर इस ग़ज़ल को पढ़ते-पढ़ते ...
जवाब देंहटाएंमीठी सी चुभन वाली, हल्की सी कसक वाली
कब हो गयी बरसात , पता ही नहीं चला !
खूबसूरत गज़ल ...अक्सर पता नहीं चलता ..
जवाब देंहटाएंदो चार घड़ी बाहें, दो चार घड़ी सपने
जवाब देंहटाएंकब बीत गयी रात, पता ही नहीं चला ! bhut bhut pyari gazal.. super...
kab ashq beh nikle pata hi nahi chala
जवाब देंहटाएंहम कब से आशिकी को, बस दर्द समझते थे
जवाब देंहटाएंकब बदले ख़यालात , पता ही नहीं चला !
बहुत खूब ।
behad khoobsoorat gazal
जवाब देंहटाएंsahitya surbhi
"मीठी सी चुभन वाली, हल्की सी कसक वाली
जवाब देंहटाएंकब हो गयी बरसात , पता ही नहीं चला !"
आनंद...
आपके एक-एक शब्द दिल में उतर जाते हैं...
अब ये न पूछियेगा कि कौन से दिल में ??
अरे !अभी तो आपने उसी का ज़िक्र किया था...
थोड़ी देर पहले ही...
यकीं न हो तो अपने ही पन्ने पलट कर देख लें...!
बहुत खूबसूरत गजल ..बहारो से मिलन होता रहे ..और और खुशियों से लबरेज गज़ल पढ़ने को मिलती रहे...सादर
जवाब देंहटाएंआनंद जी ,
जवाब देंहटाएंयूँ मयकशी से मेरा, कोई वास्ता न था
कब हो गयी शुरुआत, पता ही नहीं चला !
हर शे'र बहुत उम्दा...दिल से लिखा दिल तक पहुंचा... और ये शे'र ..जैसे खुद से जुड़ा पाया.. सच में इस मयकशी का तो पता ही नहीं चलता
कब उनसे हुई बात, पता ही नहीं चला
जवाब देंहटाएंकब बदली क़ायनात, पता ही नहीं चला !
बहुत ही सुन्दर .....
कब उनसे हुई बात, पता ही नहीं चला
जवाब देंहटाएंकब बदली क़ायनात, पता ही नहीं चला !
बहुत बढ़िया,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com