बुधवार, 1 जून 2011

दिल चीज़ क्या है .....


मेरा दिल न...
मुझे
अपनी जान से
ज्यादा प्यारा है
पूछो क्यों ?


इसे
सब पता है
मेरे बारे में
मेरा
हर राज
जानता है यह
इसे ये भी पता है
कि 
मैं खून भेजने भर से
जिन्दा नहीं रह पाउँगा
तभी तो
ये पम्प करता है
सपने ,
एहसास
सुरूर,
और कई बार तो
आग भी
मेरे अन्दर !
मेरी नसों के
अंतिम सिरे तक
मेरी हर रग में
मेरा प्यारा दिल..!
खून 
पम्प करने का काम
तो
मुर्दा दिल
भी कर ही लेते  हैं
 या 
दिल की  जगह 
कोई मशीन भी 

मगर मेरा दिल
मुर्दा नहीं ..
महसूस करता  है 
मेरी मदहोशी को 
जानता है 
किसको देखकर 
 इसे उछल जाना है बल्लियों 
और कब
ठहर जाना है
बिलकुल ही 
किसी एक मुस्कान पर  
पल भर के लिए ....
इसे तो ये भी पता है
कि
किसके न मिलने पर
इसे धड़कने से
मना कर देना है..
कब महफ़िल सजानी है
कब गुनगुनाना  है
कब सपने देखने हैं
और
कब
टूट जाना है
चुपचाप
बिना
कोई आवाज़ किये....!

आनंद द्विवेदी २५-०५-२०११  


22 टिप्‍पणियां:

  1. उफ़ …………आज तो दिल का पूरा फ़लसफ़ा लिख दिया।

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  2. आग भी
    मेरे अन्दर !
    मेरी नसों के
    अंतिम सिरे तक
    मेरी हर रग में
    मेरा प्यारा दिल..!
    खून
    पम्प करने का काम
    तो
    मुर्दा दिल
    भी कर ही लेते हैं
    या bahut sundar

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रिय आनंद द्विवेदी जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    मेरा दिल
    मुर्दा नहीं …
    महसूस करता है
    मेरी मदहोशी को

    जानता है
    किसको देखकर
    इसे उछल जाना है बल्लियों

    और कब
    ठहर जाना है
    बिलकुल ही
    किसी एक मुस्कान पर
    पल भर के लिए ……

    इसे तो ये भी पता है
    कि
    किसके न मिलने पर
    इसे धड़कने से
    मना कर देना है… … …


    वाह ! क्या बात है … !!

    हुज़ूर , बहुत समझदार है आपका दिल !

    बहुत अच्छी रचना के लिए मन से साधुवाद !


    # मेरी जितनी ग़ैरहाज़िरी लगी है उसके लिए मा'फ़ कर दीजिएगा …
    लेकिन … आपका लिखा , पढ़े बिना कुछ नहीं छोड़ा है हमने भी !
    एक साथ बहुत बहुत बहुत सारी मुबारकबाद कुबूल कीजिएगा ग़ज़ल गीत दोहों के लिए …
    इतना श्रेष्ठ छंदबद्ध ! … जनाब , कइयों के आसन हिलने की स्थिति पैदा कर रहे हैं आप ;)

    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. बहुत सुन्दर द्विवेदी जी !
    वाह क्या दिल पाया है ....

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  5. कब सपने देखने हैं
    और
    कब
    टूट जाना है
    चुपचाप
    बिना
    कोई आवाज़ किये....bahut khub.dil hai ki maantaa nahi.bahut achcha dil hai aapka.badhaai sweekar karen.

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  6. dil to hai dil dil ka aitbaar kya kijiye......:)
    aapne din ka sunder chitran kiya aanad ji ......dil ne pehchaana hai aapko...abb dhoke ki gunjayish nahi.....wo aapke rom rom me se gujarta hai.....parakhta hai.....sahi..uttejna aur umang dilata hai..hasata hai ...rulata hai......aakhir wo aapka apna hai......sabse kareeb......sunder racha....

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  7. कब सपने देखने हैं
    और
    कब
    टूट जाना है
    चुपचाप
    बिना
    कोई आवाज़ किये....!

    दर्द भरे एहसास हैं आज आपकी कविता में ..!!
    बहुत सुंदर रचना ..!!

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  8. अहसास को बखूबी लिखा है ... सुन्दर अभिव्यक्ति

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  9. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति्

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  10. such me dil me bhut kuch tut jata hai bina awaz ke.. bhut khubsurat rachna...

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  11. दिल का शव उच्छेदन दिल की कलम से ,दिल के सौजन्य से .ये मैं हूँ ये मेरा दिल है वाला निस्पृह भाव लिए रचना गुदगुदाती है आपकी देर तक ,समझाती भी है ,हर किसी की आहट पे अंत चौंकों ।
    अंदाज़ हु- बा -हु उसकी आवाज़े पा का था ,
    बाहर निकलके देखा तो झोंका हवा का था .
    ये भाई साहब सुनता कौन है दिल या दिमाग और ये महसूस कौन करता है ,दिल तो चौबीसों घंटा व्यस्त रहता है ,ये लिखवाता कौन है आपसे ?

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  12. दिल के भावों को बखूबी आपने आवाज़ दी है।

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  13. अच्छी कविता... मन के भावों का सुन्दर प्रस्तुतीकरण

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  14. कब सपने देखने हैं
    और
    कब
    टूट जाना है
    चुपचाप
    बिना
    कोई आवाज़ किये.
    शब्‍दों में छिपे भाव और यह अहसास ...लाजवाब प्रस्‍तुति ।

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  15. आदरणीय आनंद द्विवेदीजी,
    नमस्कार
    सहज, सरल शब्दों के प्रयोग से सुंदर भावाभिव्यक्ति! बहुत अच्छी प्रस्तुति!

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  16. उफ़ ....आन्नद जी आपका दिल ये सब कैसे कर लेता है........सच में आप कमाल का लिखते हो
    हम शब्द खोजते रहते है ...और आप उनके अपना साथी बना लेते हो ....बहुत खूब

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  17. "मेरा दिल
    मुर्दा नहीं ..
    महसूस करता है

    मेरी मदहोशी को
    जानता है
    किसको देखकर
    इसे उछल जाना है बल्लियों
    और कब
    ठहर जाना है
    बिलकुल ही
    किसी एक मुस्कान पर
    पल भर के लिए ....
    इसे तो ये भी पता है
    कि
    किसके न मिलने पर
    इसे धड़कने से
    मना कर देना है..
    कब महफ़िल सजानी है
    कब गुनगुनाना है
    कब सपने देखने हैं
    और
    कब
    टूट जाना है
    चुपचाप
    बिना
    कोई आवाज़ किये....!"

    आनंद.....
    कैसे लिख जाते हैं आप ?
    एक बार जरूर देख लीजियेगा कि
    आपने अपने ही दिल के बारे में लिखा है..?
    क्यूँ कि मेरे दिल के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं..!
    लगता है ये दिल आपका नहीं मेरा है...!!

    ***punam***
    bas yun..hi..

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  18. दिल दिल कितना प्यारा होता है दिल जब खुशी से बल्लियों ऊपर उछलता है .. पर कितना दुखी होता है जब तोडा जाता है... वैसे दिल खुद नहीं टूटा करते .. दिल का फलसफा खूब लिखा ..

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  19. खूबसूरत रचना ,दिल को छू गई.आनंद जी....

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  20. दिल से लिखी है दिल की बात..... सुंदर रचना.

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