लोग कहते हैं
आप और वो
एक ही हैं
एक दूसरे में समाये हुए
अपृथक
ऐसा है तो
आप को तो सब पता ही होगा न
मुझ पर करुणा कर माँ
एक बार ...बस एक बार
बोल उनको
निहार लें उसी बांकी चितवन से
जिससे नज़रें मिलने के बाद
और सब कुछ
भूल जाता है फिर !
और माधव !
तुम
शरणागत को
कैसे डील करते हो यार ?
"सर्व धर्मान परित्यज्य
मामेकं शरणं ब्रज "
बस बातें लेलो 'तेरह सौ की'
छुड़ाओ न सब ...
मेरे बस का होता तो
क्यों चिरौरी करता
बार बार तुमसे ...
वैसे एक बात बोलूं
तुम्हारी आँखों में न
काजल बहुत जमता है
मैं तो
जब भी देखता हूँ न
सेंटी हो जाता हूँ !! :) :)
२६/११/२०११
बेहतरीन शब्द समायोजन..... भावपूर्ण अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंऔर माधव !
जवाब देंहटाएंतुम
शरणागत को
कैसे डील करते हो यार ?
"सर्व धर्मान परित्यज्य
मामेकं शरणं ब्रज "
बस बातें लेलो 'तेरह सौ की'
छुड़ाओ न सब ...
मेरे बस का होता तो
क्यों चिरौरी करता
बार बार तुमसे ...
bahut khoob anand bhai.
आपका यूँ सेंटी होना बहुत अच्छा लगा ..:):) अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं"सर्व धर्मान परित्यज्य
जवाब देंहटाएंमामेकं शरणं ब्रज "
बस बातें लेलो 'तेरह सौ की'
छुड़ाओ न सब ...
बस बातें ही बातें....
जब खुद छुड़ा पाए हैं तो दूसरों का क्या छुडायेंगे...!!
अपनी जिन्दगी हमें खुद जीनी, है बस प्रार्थना करनी है
कि हमें शक्ति दे......!! छोड़ना भी हमें है और
किसी चीज़ को पकड़ते भी हम ही हैं..!! ईश्वर से वो बुद्धि मांगनी है
जिससे सही-गलत,अच्छे-बुरे की पहचान हम कर सकें....!!
और माधव !
जवाब देंहटाएंतुम
शरणागत को
कैसे डील करते हो यार ?
"सर्व धर्मान परित्यज्य
मामेकं शरणं ब्रज "
बस बातें लेलो 'तेरह सौ की'
छुड़ाओ न सब ...
मेरे बस का होता तो
क्यों चिरौरी करता
बार बार तुमसे ...
हर किसी से उसके जैसा बने के ''डील'' किया ...तभी कामयाब रहे ....आभार
भावपूर्ण अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंआज आपकी कई रचनाएँ पढ़ी सभी एक से बढ़ कर एक हैं !
जवाब देंहटाएंढेरों सुभकामनाएँ !
I’m really amazed by this blog. Tons of useful posts and info on here. Thumbs up,
जवाब देंहटाएंFrom everything is canvas
:) एक अलग से मूड की बड़ी प्यारी रचना!
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