दौर-ए-गर्दिश में मुझे राह दिखाने के लिए
शुक्रिया आपका हर साथ निभाने के लिए
जिंदगी लौट के आया हूँ अंजुमन में तेरे
अब किसी गैर के कूचे में न जाने के लिए
बेरहम वक़्त से उम्मीद भला क्या करना
खुद ही जलना है यहाँ शम्मा जलाने के लिए
कसमे वादे, हसीन ख्वाब और रंज-ओ-ग़म
छोड़ आया हूँ मैं, ये काम जमाने के लिए
एक बेनाम सा अहसास और एक कसक
इतना काफी है एक उम्र बिताने के लिए
थोड़े यादों के फूल थे, जो बचा रक्खे थे
ये भी ले जाता हूँ मंदिर में चढ़ाने के लिये
साथ 'आनंद' का अब कौन भला चाहेगा
हाथ में कुछ नहीं दुनिया को दिखाने के लिए
-आनंद द्विवेदी २७/११/२०११
एक बेनाम सा अहसास और एक कसक,
जवाब देंहटाएंइतना काफी है एक उम्र बिताने के लिए |
बहुत खूब ..क्या बात है..
मन को छू गये आपके भाव।
जवाब देंहटाएंये वो साज़ है
जवाब देंहटाएंइसे तनहाइयों में पढ़ो
ये खामोशी की आवाज़ है
सबसे बेहतर दोस्ती ,
हमारे जज़्बात हैं ||
बेरहम वक़्त से उम्मीद भला क्या करना,
जवाब देंहटाएंखुद ही जलना है यहाँ शम्मा जलाने के लिए |
waah
सचमुच एक अहसास ही काफ़ी है उसका.. और इस अहसास के साथ ही जीवन शुरू होता है उसके पहले तो बस तैयारी ही होती है...
जवाब देंहटाएंAdbhut...Behtareen
जवाब देंहटाएंwww.poeticprakash.com
रचना ....जो दिल छू गयी !!
जवाब देंहटाएंमेरे गीत की साइड बार में है यह रचना !
शुभकामनायें आपको !
बेरहम वक़्त से उम्मीद भला क्या करना,
जवाब देंहटाएंखुद ही जलना है यहाँ शम्मा जलाने के लिए |
एक बेनाम सा अहसास और एक कसक,
इतना काफी है एक उम्र बिताने के लिए |
Behad sundar panktiyan!
एक बेनाम सा अहसास और एक कसक,
जवाब देंहटाएंइतना काफी है एक उम्र बिताने के लिए |
कसमे वादे, हसीन ख्वाब और रंज-ओ-ग़म,
छोड़ आया हूँ मैं, ये काम जमाने के लिए |
और फिर आनंद ही आनंद........!!
बेरहम वक़्त से उम्मीद भला क्या करना,
जवाब देंहटाएंखुद ही जलना है यहाँ शम्मा जलाने के लिए |
वाह!
बेहतरीन भाव...!
दो कदम साथ चलोगे तो समझ जाओगे,
जवाब देंहटाएंये जो 'आनंद' है वो अपना बनाने के लिए |
वाह,क्या बात है.