अब ... जब तक हमारे बीच से शब्द एकदम ख़तम नहीं हो जाते..... ये "तू तू मैं मैं" तो चलती ही रहेगी यही सोंच कर आज से इस सीरीज की शुरुआत कर रहा हूँ ....केवल अपने लिए है यह ..अगर इस जन्म में पा लिया उन्हें तो कोई और पढ़ेगा ये मीठी यादें ..और अभी कई और जन्म लेने पड़े तो मैं फिर लौट कर आऊंगा और पढूंगा इन सब कवितों को एक बार फिर .......
रंग दे ..छलिया !
जैसा
तेरा नाम है न
वैसा ही
तेरा रंग !
और जब तू पीला-पीला
पीताम्बर पहनता है ना
बाई गाड
दूर से ही चमकता है |
यार तुझे भी ना
जरा भी ड्रेस सेन्स नहीं है ...
ऊपर से ये
'बरसाने वाली'...
ध्यान ही नहीं रखती
किसी बात का !!
सर्दियाँ आ गयी हैं
अब तू
थोडा टाइम दे
तो
सीख लूं मैं
स्वेटर बुनना
अपनी पसंद के सारे रंग
बुन दूं मैं
तेरे लिए
तू पहनेगा ना ..
मेरा बुना हुआ झगोला ..?
अरे सुन !
तुझे वो गाना आता है क्या ..
'रंगरेज़ा.. .रंगरेज़ा' वाला
बजा रे... बजा ना एक बार
देखूं बांसुरी पर ..
कैसा लगता है
रंगरेज़ा रंग मेरा तन मेरा मन
ले ले रंगाई चाहे तन चाहे मन ......
रंग दे छलिया
क्यों तड़पाता है अब !!
२४-११-२०११
रंग दे ..छलिया !
जैसा
तेरा नाम है न
वैसा ही
तेरा रंग !
और जब तू पीला-पीला
पीताम्बर पहनता है ना
बाई गाड
दूर से ही चमकता है |
यार तुझे भी ना
जरा भी ड्रेस सेन्स नहीं है ...
ऊपर से ये
'बरसाने वाली'...
ध्यान ही नहीं रखती
किसी बात का !!
सर्दियाँ आ गयी हैं
अब तू
थोडा टाइम दे
तो
सीख लूं मैं
स्वेटर बुनना
अपनी पसंद के सारे रंग
बुन दूं मैं
तेरे लिए
तू पहनेगा ना ..
मेरा बुना हुआ झगोला ..?
अरे सुन !
तुझे वो गाना आता है क्या ..
'रंगरेज़ा.. .रंगरेज़ा' वाला
बजा रे... बजा ना एक बार
देखूं बांसुरी पर ..
कैसा लगता है
रंगरेज़ा रंग मेरा तन मेरा मन
ले ले रंगाई चाहे तन चाहे मन ......
रंग दे छलिया
क्यों तड़पाता है अब !!
२४-११-२०११
सर्दियाँ आ गयी हैं
जवाब देंहटाएंअब तू
थोडा टाइम दे
तो
सीख लूं मैं
स्वेटर बुनना
अपनी पसंद के सारे रंग
बुन दूं मैं
तेरे लिए
तू पहनेगा ना ..
मेरा बुना हुआ झगोला ..?
waah kitne samarpan ke bhav hain !
yahi to usse dosti karayenge.
बहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंbhaut hi khubsurat bhaav abhivaykti....
जवाब देंहटाएंWah...antim panktiyan khaas pasand aayi
जवाब देंहटाएंअरे सुन !
तुझे वो गाना आता है क्या ..
'रंगरेज़ा.. .रंगरेज़ा' वाला
बजा रे... बजा ना एक बार
देखूं बांसुरी पर ..
कैसा लगता है
रंगरेज़ा रंग मेरा तन मेरा मन
ले ले रंगाई चाहे तन चाहे मन ......
Bahut khub..
http://www.poeticprakash.com/
सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंएक अलग अंदाज़ में आपकी ये कविता ...शब्दों का जादू ....दोस्ती की भाषा को समझाने का अनूठा प्रयास ...बहुत खूब .
जवाब देंहटाएंसमझ नहीं पा रही हूँ कि क्या लिखूं....??
जवाब देंहटाएंदोस्ती....अपनापन...दुलार....प्यार....!!
कुछ है अनूठा सा...!!
बेहतरीन भाव लिये सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने अनमोल संदेशों के द्वारा हमारा उत्साह बढाइये/आप हिंदी की सेवा इसी तरह अपने मेहनत और लगन से लिखी गई रचनाओं द्वारा करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक नीचे दिया गया है /
जवाब देंहटाएंhttp://hbfint.blogspot.com/2011/11/19-happy-islamic-new-year.html
भक्त और उनके भगवन की जय!
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