सबको ज़ख्म दिखाने निकले
हम भी क्या बेगाने निकले
पहले क़त्ल किया यारों ने
पीछे दीप जलाने निकले
जब पहुँचे हम हाल सुनाने
वो दिल को बहलाने निकले
उनकी इशरत* मेरी किस्मत
दोनों एक ठिकाने निकले
उनके बस का रोग नहीं ये
रह रह कर पछ्ताने निकले
दिल तो पहले ही उनका था
अब महसूल* चुकाने निकले
जीवन का हासिल क्या होता
हम केवल परवाने निकले
आप हश्र की चिंता करिये
हम तो धोखा खाने निकले
बिन देखे ही उम्र कट गयी
हम भी खूब दिवाने निकले
जिसे चाहिए वो ले जाये
हम आनंद लुटाने निकले
- आनंद
इशरत = मनोरंजन
महसूल = टैक्स, शुल्क
हम भी क्या बेगाने निकले
पहले क़त्ल किया यारों ने
पीछे दीप जलाने निकले
जब पहुँचे हम हाल सुनाने
वो दिल को बहलाने निकले
उनकी इशरत* मेरी किस्मत
दोनों एक ठिकाने निकले
उनके बस का रोग नहीं ये
रह रह कर पछ्ताने निकले
दिल तो पहले ही उनका था
अब महसूल* चुकाने निकले
जीवन का हासिल क्या होता
हम केवल परवाने निकले
आप हश्र की चिंता करिये
हम तो धोखा खाने निकले
बिन देखे ही उम्र कट गयी
हम भी खूब दिवाने निकले
जिसे चाहिए वो ले जाये
हम आनंद लुटाने निकले
- आनंद
इशरत = मनोरंजन
महसूल = टैक्स, शुल्क
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 23 जनवरी 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंkya baat umda :) jsk
जवाब देंहटाएंkya baat ..behad sundar :) jsk
जवाब देंहटाएंवाह ! बेहतरीन
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