उम्र भर इम्तिहान मत लेना
बेवजह कोई जान मत लेना
जिसको दो पल न दे सको अपने
जिसको दो पल न दे सको अपने
उसका सारा जहान मत लेना
काट दो पंख कोई बात नहीं
हाँ मगर आसमान मत लेना
होश में आ गया है वो फिर से
हाँ मगर आसमान मत लेना
होश में आ गया है वो फिर से
उसका कोई बयान मत लेना
जिसकी आँखों में बेहयाई हो
उससे कोई ज़ुबान मत लेना
सारे 'आनंद' से मिलेंगे यहाँ
इस शहर में मकान मत लेना
इस शहर में मकान मत लेना
-आनंद
"इम्तहाँ लेते हैं वो मासूम बन बन के जनाब
जवाब देंहटाएंऔर कहते हैं भी ये...मैं इम्तहाँ लेता नहीं !!"
बहुत खूब आनंद...
आपकी शायरी की कायल हूँ मैं...!
एक एक शेर उम्दा..
हर एक शेर मुकम्मल...!!
बधाई....!!!
काट दो पंख....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ग़ज़ल
बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुतिकरण एक गहरे अर्थ के साथ, ----बधाई
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों----आग्रह है
jyoti-khare.blogspot.in
सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंवाह, जिसकी आँखों में बेहयाई हो, उससे कोई ज़ुबान मत लेना. बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... लाजवाब गज़ल ... सभी शेर अपनी अलग महक लिए ...
जवाब देंहटाएंGahre bhao samete hue...satik maapdand,zindagi ke kisi raah pr chalne se pahle...
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