हजार बार मन किया
बेवफा कह दूं तुझे पर तेरी आँखें
देखने लगती हैं मुझे एकटक
मुझे वो तुम्हारा हिस्सा नहीं लगती
वो न तो झुकती हैं
न इधर उधर देखती हैं
और न ही कोई बहाना करती हैं
बस ऐसे देखती हैं
जैसे कोई देखता है खुद को आईने में दिन भर के बाद
मैं खुश हो जाता हूँ
तुम में कुछ तो है अभी बाकी मेरा
वफ़ा बेवफाई
दूरियाँ नजदीकियाँ
मिलन वियोग
प्रेम और प्रेम भी नहीं
ये तो सब जीवन का हिस्सा हैं
जब तक जीवन रहेगा ये सब रहेंगी ही
मगर तुम तो जीवन के बाद भी रहोगे
रहोगे न ?
चौरासी लाख कम नहीं होते यार
मुझसे अकेले
इतना चक्कर नहीं काटा जाएगा |
बेवफा कह दूं तुझे पर तेरी आँखें
देखने लगती हैं मुझे एकटक
मुझे वो तुम्हारा हिस्सा नहीं लगती
वो न तो झुकती हैं
न इधर उधर देखती हैं
और न ही कोई बहाना करती हैं
बस ऐसे देखती हैं
जैसे कोई देखता है खुद को आईने में दिन भर के बाद
मैं खुश हो जाता हूँ
तुम में कुछ तो है अभी बाकी मेरा
वफ़ा बेवफाई
दूरियाँ नजदीकियाँ
मिलन वियोग
प्रेम और प्रेम भी नहीं
ये तो सब जीवन का हिस्सा हैं
जब तक जीवन रहेगा ये सब रहेंगी ही
मगर तुम तो जीवन के बाद भी रहोगे
रहोगे न ?
चौरासी लाख कम नहीं होते यार
मुझसे अकेले
इतना चक्कर नहीं काटा जाएगा |
-आनंद
8-10-2012
कहने के लिए कुछ बचा ही नही...तो आज ख़ामोशी ही सही...|
जवाब देंहटाएंचौरासी लाख कम नहीं होते यार
जवाब देंहटाएंमुझसे अकेले
इतना चक्कर नहीं काटा जाएगा |....नया विचार...
मगर तुम तो जीवन के बाद भी रहोगे
जवाब देंहटाएंरहोगे न ?
.............
..................
............................:))
इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
आत्म मुग्ध हो कर लिखने की कला में माहिर हो ......
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