सोमवार, 31 दिसंबर 2012

पीर पराई ...


एक पखवारा
बहुत होता है किसी अनुष्ठान के लिये
बहुत दिन हो गए
तुम्हें समाज सुधारक बने हुए
जाओ
नकाबें उतार दो अब
रात के जश्न में मिलते हैं  बाय !

- आनंद  

शनिवार, 29 दिसंबर 2012

हमें आशीर्वाद दे .... !

देख तो ...
क्या कर गयी तू  !
फूंक दिया प्राण
सोई हुई चेतना में सारे देश की
प्राण देने से पहले,
बात अब केवल तेरे गुनहगारों की कहाँ रही
तेरे रक्त की एक-एक बूँद ने
अनगिनत सुप्त हृदयों में भी
क्रांति को जन्म दे दिया है
देश को अब तक तुम्हारा नाम नहीं पता
पर आज फूट फूट कर रोया है
वह तेरे लिए !

मेरी बेटी
जरा देख तो
तेरी रक्षा न कर पाने का कलंक
धोना चाहता है यह देश
हमें आशीर्वाद दे
कि हम सब कामयाब हों !

- आनंद



गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

अमन की बातें न कर तू


अमन की बातें न कर तू, भले चिंगारी न देख 
पूरा गुलशन देख भाई, एक ही क्यारी न देख

नज़र में मंज़िल है तो फिर, राह दुश्वारी न देख 
हौसले भी देख अपने, सिर्फ लाचारी न देख

मशवरा करके कभी तूफ़ान भी आये  हैं क्या
बाजुओं पर भी यकीं कर, सारी तैयारी न देख

ऐ मेरे शायर हक़े-माशूक़ की खातिर ही लड़
इल्तज़ा है वक़्त की तू खौफ़ सरकारी न देख

आग भरदे ग़ज़ल में, अशआर को बारूद कर
भूल जा काली घटा अब आँख कजरारी न देख

देखना ही ख्वाब हो तो जुल्म से लड़ने के देख
अपनी दुनिया खुद बदल 'आनंद' की बारी न देख

- आनंद


मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

लाठियाँ खा-खा के बच्चों ने हमें दिखला दिया

कहूँ मैं कैसे मोहब्बत की कहानी दोस्तों
दाँव पर जब लग गयी है जिंदगानी दोस्तों

साफ कहता हूँ कि मैं अपने लिये चिल्ला रहा
मेरे घर में भी तो  है बेटी सयानी दोस्तों

जुल्म खुद हैरान है इस जुल्म का ढंग देखकर
पर नहीं सरकार की आँखों में पानी दोस्तों

लाठियाँ खा-खा के बच्चों ने हमें दिखला दिया
कम नहीं है आज भी जोशो-जवानी दोस्तों

हम बदलकर ही रहेंगे सोच को, माहौल को,
हो गयी कमज़ोर दहशत हुक्मरानी दोस्तों

झांक ले 'आनंद' तू अपने गरेबाँ में भी अब
वरना रह जायेंगी सब बातें जुबानी दोस्तों

 - आनंद



गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

आज हर मर्द ही शक़ में शुमार है यारों .

इस क़दर गिर गया अपना मयार है यारों
आज हर मर्द ही शक़ में शुमार है यारों

शाम होते ही सहम जाती है बेटी मेरी
शहर है  या कोई  ख़ूनी दयार  है यारों

कौन जाने किधर से चीख उठेगी अगली
ज़ेहन में आजकल दहशत सवार है यारों

गुनाहगार के संग सोच भी सूली पाए
मेरा जरा सा अलहदा विचार है यारों

हर तरफ शोर है गुस्सा है भले लोगों में
गोया सागर में शराफत का ज्वार है यारों 

आइये कर सकें भरपाई तो करदें उसकी 
क़र्ज़ बहनों का अभी तक उधार है यारों

 - आनंद