उन तक भी अब जाएगा इस दिल का संवाद
ऋतु बासंती कर रही पीड़ा का अनुवाद
पीली सरसों की लहक, चहक पखेरू केरि
लिये उदासी ह्रदय में, रहीं उन्हें ही टेरि
'वैलेंटाइन' संत जी, उधर बजाएं ढोल
इत फागुन बैरी हुआ रहि रहि करे ठिठोल
कब तक रखें हौसला कैसे रखें आस
नन्हें नन्हें ख़्वाब थे जिन्हें मिला वनवास
झूठ बोलते हैं सभी, दिल से दिल की रीत
पत्थर दिल कैसे हुए मेरे मन के मीत
उलटे हैं आनंद सब जीवन के व्याख्यान
जिसको देखा तक नहीं उसको दे दी जान
- आनंद
ऋतु बासंती कर रही पीड़ा का अनुवाद
पीली सरसों की लहक, चहक पखेरू केरि
लिये उदासी ह्रदय में, रहीं उन्हें ही टेरि
'वैलेंटाइन' संत जी, उधर बजाएं ढोल
इत फागुन बैरी हुआ रहि रहि करे ठिठोल
कब तक रखें हौसला कैसे रखें आस
नन्हें नन्हें ख़्वाब थे जिन्हें मिला वनवास
झूठ बोलते हैं सभी, दिल से दिल की रीत
पत्थर दिल कैसे हुए मेरे मन के मीत
उलटे हैं आनंद सब जीवन के व्याख्यान
जिसको देखा तक नहीं उसको दे दी जान
- आनंद
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