बुधवार, 29 जनवरी 2014

मेरे जैसों को भले ग़म के तराने दे दे

मेरे जैसों को भले ग़म के तराने दे दे
दर्दमंदों को मगर ख़्वाब सुहाने दे दे

तू खुदा है भला तेरे लिये क्या मुश्किल है
जिन्दगी दी है तो जीने के बहाने दे दे

कुछ नहीं होने से बेहतर है एक ज़ख्म रहे
रतजगे दे दे, तसव्वुर के ज़माने दे दे

कितनी उम्मीद से इस अंज़ुमन में आये हैं
राहगीरों को जरा देर ठिकाने दे दे

हसरतें कितनी महज़ हसरतें ही रहती हैं
इस हकीकत की जगह  चंद  फ़साने दे दे

हौसलों आओ जरा  इम्तेहान हो जाये
मुझको हर हाल में जीकर के दिखाने दे दे

माँगना जाँचना तौहीन है,  'आनंद' नहीं
तू  नियामत न लुटा,   दर्द पुराने दे दे  !

- आनंद






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