जो प्रेम का नाम लेते हैं,
दुहाई देते हैं,
प्रेम की महिमा का बखान करते हैं
पा लेना चाहते हैं
कुछ न कुछ
किसी न किसी बहाने
मैं वही हतभाग्य हूँ
ईश्वर और प्रेम
एक हैं
एक ही है
इन तक पहुँचने का तरीका
अकारण ... बिना हेतु
'सम्पूर्ण समर्पण' !
- आनंद
दुहाई देते हैं,
प्रेम की महिमा का बखान करते हैं
पा लेना चाहते हैं
कुछ न कुछ
किसी न किसी बहाने
मैं वही हतभाग्य हूँ
ईश्वर और प्रेम
एक हैं
एक ही है
इन तक पहुँचने का तरीका
अकारण ... बिना हेतु
'सम्पूर्ण समर्पण' !
- आनंद
ईश्वर और प्रेम कि बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंएक बार यहाँ भी आयें और अवलोकन करें, धन्यबाद।
भूली-बिसरी यादें
सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपका मैं अपने ब्लॉग ललित वाणी पर हार्दिक स्वागत करता हूँ मैंने भी एक ब्लॉग बनाया है मैं चाहता हूँ आप मेरा ब्लॉग पर एक बार आकर सुझाव अवश्य दें...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंकुछ पाने की इच्छा ही प्रेम से दूर कर देती है...ईश्वर और प्रेम के साथ मृत्यु भी पर्यायवाची है..मन की मृत्यु !
जवाब देंहटाएं