ये रास्ते का संघर्ष
ये पीड़ाएं
ये इंतजारी के दिन
ये प्रतीक्षा की रातें
ये दर्द के आँसू
अहा !
मंज़िल से ज्यादा आनंद तो
सफ़र में है
सुनो मेरी मंज़िल... !
मैंने नहीं पहुँचना
कहीं भी...
-आनंद
ये पीड़ाएं
ये इंतजारी के दिन
ये प्रतीक्षा की रातें
ये दर्द के आँसू
अहा !
मंज़िल से ज्यादा आनंद तो
सफ़र में है
सुनो मेरी मंज़िल... !
मैंने नहीं पहुँचना
कहीं भी...
-आनंद
सफर का ही आननद लीजिये ..... मंज़िल पर पहुँच गए तो बाकी सब कुछ नहीं रहेगा ... सुंदर
जवाब देंहटाएंअहा !
जवाब देंहटाएंमंज़िल से ज्यादा आनंद तो
सफ़र में है
बहुत खूब।
very nice
जवाब देंहटाएंये शायर भी सच्ची दीवाने होते हैं......
जवाब देंहटाएंअनु
सुंदर रचना
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