जुस्तजू सी उभर गयी फिर से
शाम भी कुछ निखर गयी फिर से
तेरा पैगाम दे गया कासिद
जैसे धड़कन ठहर गयी फिर से
तेरी बातों की बात ही क्या है
कोई खुशबू बिखर गयी फिर से
जिंदगी! होश में भी है, या कहीं
मयकदे से गुज़र गयी फिर से ?
रात इतनी वफ़ा मिली मुझको
जैसे तैसे सहर हुयी फिर से
वो तो बेमौत ही मरा होगा
जिस पे तेरी नज़र गयी फिर से
तेरा दीदार मिले तो समझूं
कैसे किस्मत संवर गयी फिर से
कहके 'आनंद' पुकारा किसने
बेवजह आँख भर गयी फिर से
-आनंद द्विवेदी २२-२६ /०१/२०१२
आपके इस उत्कृष्ठ लेखन के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएं"है ये 'आनंद' का नया अंदाज
जिंदगी यूँ संवर गयी फिर से....!!"
पूनम जी ये आपके कमेंट्स का ही अंदाज़ मात्र है :)
हटाएंजिंदगी! होश में भी है, या कहीं
जवाब देंहटाएंमयकदे से गुज़र गयी फिर से ? बहुत बढ़िया पंक्तियां। तेरी बातों 'कि' बात ही क्या है में 'की' होना चाहिए शायद। मात्राओं की अशुद्धि अच्छी ग़ज़ल में खटकने लगती है।
दीपिका जी आभार आपका आपने अशुद्धि की ओर ध्यान आकृष्ट किया !
हटाएंवाह ..बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
तेरी बातों कि बात ही क्या है
जवाब देंहटाएंकोई खुशबू बिखर गयी फिर से..
आपकी गज़ल पे खुद लागू होता है ये शेर .
जिंदगी! होश में भी है, या कहीं
हटाएंमयकदे से गुज़र गयी फिर से ?
रात इतनी वफ़ा मिली मुझको
जैसे तैसे सहर हुयी फिर से
Kya kamaal ka likha hai!
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंअच्छी गज़ल पढ़ने को मिल गयी फिर से...
सादर.
आनंद जी...! क्या बात कही फिर से ...
जवाब देंहटाएंएक बार फिर से ....लाजबाब ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंऐसी ही खुशबू बिखेरिये फिर से...आभार
तेरी बातों की बात ही क्या है
जवाब देंहटाएंकोई खुशबू बिखर गयी फिर से
सचमुच उसका जिक्र हो तो सब तरफ खुशबू बिखर जाती है...बेहद उम्दा गजल, आभार!
कहके 'आनंद' पुकारा किसने
जवाब देंहटाएंबेवजह आँख भर गयी फिर से
प्यारे आनंद को शुभकामनायें ....