तुम
कैसा अहसास हो
जहाँ मन ऐसे लगता है जैसे
समाधि
या फिर कोई नशा
जिसे पीकर कभी भी
होश में आने का मन न हो ..
या फिर कोई जहर
जिसे पीकर हमेशा के लिए
मेरी मौत हो गई है
खुद के अन्दर
और तुम बन बैठे हो
अहिस्ता से
मेरा वजूद !
मैं
मैं
वो हूँ ही नही
जो मुझे सभी
समझते हैं
जानते हैं
मैं केवल वो हूँ
जो तुम समझती हो
जानती हो
मानती हो
वही हूँ मैं
वही हो गया हूँ !!
मई की क्रांति
मेरे लिए
उसका प्यार
उस
क्रांति से भी ज्यादा है...
सत्ता और व्यवस्था की छोड़ो
मेरा तो
जीन बदल गया है
अब
कई जन्मों तक
मैं
केवल प्रेम को ही
जन्म दूंगा ||
समझदार !
बड़ी जतन से
बर्षों में
तैयार होता है
एक
समझदार आदमी !
अन्दर की कोशिकाओं तक
निर्माण होता है 'मैं' का 'अहम्' का
कहना आसान है
मिटाना कठिन ....
लगभग आत्महत्या जैसा
इसीलिये
समझदार आदमी
हमेशा दूर भागते हैं
प्रेम से ||
प्रेम
गली गली में
उग आये है
उपदेशक !
चरणबद्ध तरीके से
सिखाया जाएगा
त्रुटिहीन प्रेम ||
शबरी की कथा !
कह दो
अंतिम क्षण में
साथ रहने के लिए
या फिर मैं
तुम्हारे साथ के क्षण को ही
अंतिम बना लूं
कानों के ऊपर के
सफ़ेद बाल
सारे शरीर में फ़ैल रहे हैं
ऐसे में मुझे
'शबरी' की कथा
बहुत याद आती है !!
छोटे लोग !
कितनी
रंगीन महफ़िल थी यार !
शायरी और शबाब का दौर..
मगर इसमें भी
'उस' साले ने
आलू, प्याज
रसोई गैस के बढ़े दाम ....घुसेड़ दिए
उफ्फ्फ
ये छोटे लोग न
कभी बड़ा
सोंच ही नही सकते ||
आनन्द द्विवेदी १४-०७-२०११
बेहतरीन अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंमनोभाव का सुन्दर संकलन...
जवाब देंहटाएंEkse badhke ek.... maza aa gaya!
जवाब देंहटाएंउफ़ ...ये छोटे भी ना ...
जवाब देंहटाएंये खुद अपनी छोटी सोच नहीं देखते !
अच्छी लगी क्षणिकाएं !
सभी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक ...बहुत ही बढि़या, आभार ।
जवाब देंहटाएंसातों काव्य रचनाएं शब्द-शब्द संवेदना से भरी एवं अत्यंत मार्मिक हैं...
जवाब देंहटाएंगज़ब की रचनाये हैं……………शानदार्।
जवाब देंहटाएंअच्छे कुल्बुलायें हैं दिमाग के कीड़े ...बहुत बढ़िया क्षणिकाएँ ...
जवाब देंहटाएंbahut gahan bhav liye hui sunder rachanaayen.badhaai sweekaren.
जवाब देंहटाएं"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
ये दिमागी कीड़े....प्रेम के मीठेपन की ओर ज्यादा भागते हैं...अच्छा है....यह त्रुटी हीन प्रेम कहाँ सिखाया जा रहा है...मुझे भी बताईयेगा ...
जवाब देंहटाएंयह भी दुरुस्त कहा कि छोटे लोग...बड़ा नहीं सोच सकते....सुन्दर!!!
"गली गली में
जवाब देंहटाएंउग आये है
उपदेशक !
चरणबद्ध तरीके से
सिखाया जाएगा
त्रुटिहीन प्रेम !!"
और सिखाने वाले कभी
खुद प्रेम करना नहीं सीख पाते...
"कह दो
अंतिम क्षण में
साथ रहने के लिए
या फिर मैं
तुम्हारे साथ के क्षण को ही
अंतिम बना लूं !"
प्रेम करने वाले बस इतना ही चाहते हैं....
न सिखाते हैं, न बताते है...
क्यूँ कि उनके पास प्यार करने के तरीके नहीं होते...!!