मेरी वजह से
कितने बुरे होते जा रहे हो तुम
सब ख़त्म कर दोगे न ?
मिटा दोगे अपने पाँव के निशाँ
शायद राह भी ...
मगर मेरी आँखों से निकलती है एक नदी
उसी से आऊंगा मैं तुम्हारे पास
तैरना नहीं जानता 'तुम्हारी तरह'
घाट की थाह भी नहीं
डूबना नियति है
केवल समय नहीं है नियत
पर अपने हजारों डरो के बावजूद
मैं आऊंगा एक दिन
और देखूँगा अपनी आँखों से
कैसे अपने बन जाते हैं पराये
देखूँगा तुम्हें
जैसे मोर देखता है घन को
चकोर देखता है चन्दा को
और अगर तुमने जुल्म की इंतेहाँ ही कर दी
तो फिर...
विअसे ही देख लूँगा
जैसे चोर देखता है किसी राजकोष को
पर मैं आऊंगा जरूर
क्योंकि खुछ घटनाओं का घाट जाना ही
अच्छा होता है मृत्यु से पूर्व,
कमरे के बिस्तर पर मरने से
लाख गुना अच्छा है
राहों पर चलते हुए मरना
और अगर वो राहें तुम्हारी हों
तो फिर क्या कहने ...!
- आनंद
कितने बुरे होते जा रहे हो तुम
सब ख़त्म कर दोगे न ?
मिटा दोगे अपने पाँव के निशाँ
शायद राह भी ...
मगर मेरी आँखों से निकलती है एक नदी
उसी से आऊंगा मैं तुम्हारे पास
तैरना नहीं जानता 'तुम्हारी तरह'
घाट की थाह भी नहीं
डूबना नियति है
केवल समय नहीं है नियत
पर अपने हजारों डरो के बावजूद
मैं आऊंगा एक दिन
और देखूँगा अपनी आँखों से
कैसे अपने बन जाते हैं पराये
देखूँगा तुम्हें
जैसे मोर देखता है घन को
चकोर देखता है चन्दा को
और अगर तुमने जुल्म की इंतेहाँ ही कर दी
तो फिर...
विअसे ही देख लूँगा
जैसे चोर देखता है किसी राजकोष को
पर मैं आऊंगा जरूर
क्योंकि खुछ घटनाओं का घाट जाना ही
अच्छा होता है मृत्यु से पूर्व,
कमरे के बिस्तर पर मरने से
लाख गुना अच्छा है
राहों पर चलते हुए मरना
और अगर वो राहें तुम्हारी हों
तो फिर क्या कहने ...!
- आनंद
बहुत खूब .... प्रेम में डूबी रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंHello ! This is not spam! But just an invitation to join us on "Directory Blogspot" to make your blog in 200 Countries
जवाब देंहटाएंRegister in comments: blog name; blog address; and country
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