ख़ार तो खुद ही मिले, गुल बुलाने से मिले
आपके शहर के धोखे भी सुहाने से मिले
मुस्कराहट को लिए ग़म खड़े थे राहों में
अज़ब फ़रेब तेरा नाम बताने से मिले
रात भर आपके अहसास ने जिंदा रक्खा
ये तज़ुर्बे भी मुझे नींद न आने से मिले
दिन महक़ उठता है मेरा जो दीद हो उसकी
उसे सुकून मेरे दिल को दुखाने से मिले
आपकी बज़्म है दिल है ख़ुशी है रौनक है
कहीं सुकून के दो पल भी चुराने से मिले
मैंने 'आनंद' की सोहबत में ग़म उठाये हैं
हमें जो दर्द मिले वो भी बहाने से मिले
- आनंद
आपके शहर के धोखे भी सुहाने से मिले
मुस्कराहट को लिए ग़म खड़े थे राहों में
अज़ब फ़रेब तेरा नाम बताने से मिले
रात भर आपके अहसास ने जिंदा रक्खा
ये तज़ुर्बे भी मुझे नींद न आने से मिले
दिन महक़ उठता है मेरा जो दीद हो उसकी
उसे सुकून मेरे दिल को दुखाने से मिले
आपकी बज़्म है दिल है ख़ुशी है रौनक है
कहीं सुकून के दो पल भी चुराने से मिले
मैंने 'आनंद' की सोहबत में ग़म उठाये हैं
हमें जो दर्द मिले वो भी बहाने से मिले
- आनंद
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 30 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंBahut badhiya...
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