जिंदगी देख तो हम क्या कमाल कर बैठे
इश्क़ की राह में तुझको हलाल कर बैठे
आदतें यार की ऐसी थीं कि मैं तनहा लगूँ
समझ न पाये और हम मलाल कर बैठे
जिनको दरकार थी हम हाथ उठाये रक्खें
उन्हीं से आँख मिलाकर सवाल कर बैठे
दर्द रिसता रहे अंदर तो प्रेम सिंचता है
लबों को खोल के नाहक बवाल कर बैठे
ये लौंडपन की सनक थी कि ग़ज़ल गायेंगे
दिलों के ज़ख्म को दुनिया का हाल कर बैठे
हम तो आज़ाद हैं इतने कि मुल्क ठेंगे पर
मुद्दआ कोई हो, हम भात- दाल कर बैठे
कर न पाई जो काम दुश्मनों की फौजें भी
सभी वो काम यहीं के दलाल कर बैठे
गुरूर मिट गया, आनंद हो गयी दुनिया
जरा सी बात से, जीवन निहाल कर बैठे
- आनंद
इश्क़ की राह में तुझको हलाल कर बैठे
आदतें यार की ऐसी थीं कि मैं तनहा लगूँ
समझ न पाये और हम मलाल कर बैठे
जिनको दरकार थी हम हाथ उठाये रक्खें
उन्हीं से आँख मिलाकर सवाल कर बैठे
दर्द रिसता रहे अंदर तो प्रेम सिंचता है
लबों को खोल के नाहक बवाल कर बैठे
ये लौंडपन की सनक थी कि ग़ज़ल गायेंगे
दिलों के ज़ख्म को दुनिया का हाल कर बैठे
हम तो आज़ाद हैं इतने कि मुल्क ठेंगे पर
मुद्दआ कोई हो, हम भात- दाल कर बैठे
कर न पाई जो काम दुश्मनों की फौजें भी
सभी वो काम यहीं के दलाल कर बैठे
गुरूर मिट गया, आनंद हो गयी दुनिया
जरा सी बात से, जीवन निहाल कर बैठे
- आनंद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " एक 'डरावनी' कहानी - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआनंद जी, आपके ब्लाॅग पर पठनीय और ज्ञानवर्द्धक लेख लिए बधाई। आपके ब्लाॅग को हमने यहां पर Best Hindi Blogs लिस्टेड किया है।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा ब्लॉग पर आकर, बेहतरीन काव्य , बधाई आनंद जी
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गज़ल....
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