वो पंक्षी
आज नहीं रोया
छटपटाया भी नहीं
भूल से भी नहीं किया किसी से
दूसरे उड़ते हुए पंक्षियों के बारे में बात
बल्कि बैठा बड़े ही इत्मीनान से
अपने ही हाथों से
नोचता रहा .... एक एक करके
अपने पंख,
अपने कभी न उड़ पाने का ऐसा विश्वास....
आखिर दुनिया
विश्वास से ही तो चलती है !
तुम्हारा न होना
एकदम ऐसा ही है
जैसे
दिन का न होना
पानी का न होना
या फिर न होना शब्द का
इस बार बची हुई ध्वनियाँ भी
साथ ले जाना तुम !
चीर फाड़ देने
नसें काट देने / बदल देने से
क्या होगा ?
विज्ञान को कुछ नहीं पता
दिल के बारे में
और न ही उसको लगने वाले रोग के बारे में !
- आनंद
आज नहीं रोया
छटपटाया भी नहीं
भूल से भी नहीं किया किसी से
दूसरे उड़ते हुए पंक्षियों के बारे में बात
बल्कि बैठा बड़े ही इत्मीनान से
अपने ही हाथों से
नोचता रहा .... एक एक करके
अपने पंख,
अपने कभी न उड़ पाने का ऐसा विश्वास....
आखिर दुनिया
विश्वास से ही तो चलती है !
तुम्हारा न होना
एकदम ऐसा ही है
जैसे
दिन का न होना
पानी का न होना
या फिर न होना शब्द का
इस बार बची हुई ध्वनियाँ भी
साथ ले जाना तुम !
चीर फाड़ देने
नसें काट देने / बदल देने से
क्या होगा ?
विज्ञान को कुछ नहीं पता
दिल के बारे में
और न ही उसको लगने वाले रोग के बारे में !
- आनंद
दिल के रोगों का कोई इलाज़ भी नहीं है
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