मैंने हर अपना बेगाना देख लिया
देखा भाई, खूब जमाना देख लिया
सच्चाई की सुन्दर गलियाँ भी देखीं
झूठों का भी ठौर ठिकाना देख लिया
महलों वाले भी दिल के मुफ़लिस देखे
कुटियों में भी राज घराना देख लिया
कुछ ने बाज़ी देखी, कुछ ने चाल चली
मैंने पत्ते फेंटा जाना देख लिया
इंच इंच तुमने मुझको नापा जिससे
आखिर मैंने वो पैमाना देख लिया
- आनंद
देखा भाई, खूब जमाना देख लिया
सच्चाई की सुन्दर गलियाँ भी देखीं
झूठों का भी ठौर ठिकाना देख लिया
महलों वाले भी दिल के मुफ़लिस देखे
कुटियों में भी राज घराना देख लिया
कुछ ने बाज़ी देखी, कुछ ने चाल चली
मैंने पत्ते फेंटा जाना देख लिया
इंच इंच तुमने मुझको नापा जिससे
आखिर मैंने वो पैमाना देख लिया
- आनंद
आनंद भाई हार्दिक बधाई इस पुस्तक के विमोचन की ....!!ईश्वर करे ढेर सारी पुस्तकें और छापें ...और आपका बहुत नाम हो ....!!
जवाब देंहटाएंहमें ये पुस्तक कैसे प्राप्त होगी बताइयेगा ....!!अशेष शुभकामनायें ...!!
bahut khoob ji
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