दर्द को मेहमानखाने से हटाकर रख दिया
फिर वहीँ हंसती हुई फ़ोटो मढ़ाकर रख दिया
रख दिया अलमारियों में बंद करके रतजगे
और टूटे ख्वाब के टुकड़े उठाकर रख दिया
आ गया था दिल किसी मगरूर क़दमों के तले
आदतन उसने जरा खेला मिटाकर रख दिया
कुछ तसव्वुर जिंदगी भर साथ रहने थे मगर
मैंने हर तस्वीर एल्बम में लगाकर रख दिया
जब कभी तारीकियाँ होंगी जला लेगा मुझे
रोशनी थी इसलिए शायद बुझाकर रख दिया
घूम आया हर गली 'आनंद' जिसके वास्ते
जिंदगी ने वो हसीं लम्हा छुपाकर रख दिया
_ आनंद
फिर वहीँ हंसती हुई फ़ोटो मढ़ाकर रख दिया
रख दिया अलमारियों में बंद करके रतजगे
और टूटे ख्वाब के टुकड़े उठाकर रख दिया
आ गया था दिल किसी मगरूर क़दमों के तले
आदतन उसने जरा खेला मिटाकर रख दिया
कुछ तसव्वुर जिंदगी भर साथ रहने थे मगर
मैंने हर तस्वीर एल्बम में लगाकर रख दिया
जब कभी तारीकियाँ होंगी जला लेगा मुझे
रोशनी थी इसलिए शायद बुझाकर रख दिया
घूम आया हर गली 'आनंद' जिसके वास्ते
जिंदगी ने वो हसीं लम्हा छुपाकर रख दिया
_ आनंद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन एक था टाइगर - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन .......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंLatest post हे निराकार!
latest post कानून और दंड
सुंदर अभिव्यक्ति .... विजया दशमी की बधाई मेरे भी ब्लॉग पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुंदर भाव ! जों हसीन है वह पर्दे में ही रहता है
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना :- चलो अवध का धाम
बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।
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