बोल देना सच, जहाँ खतरा रहा है जान को
हम वहीं ले जा रहे हैं आधुनिक इंसान को
दौड़ में आगे निकलने की अजब जद्दोज़हद
दाँव पर रखने लगे हैं बेहिचक सम्मान को
वो ज़माने और थे, जब आदमी की क़द्र थी
बोझ है रख दीजिये अब ताक़ पर ईमान को
कुछ नहीं जोड़ा बुढ़ापे के लिए हमने कभी
बेवजह का दोष क्यों दें हम भला संतान को
रौनकें बिखरी पड़ी हैं हर तरफ बाज़ार में
छटपटा फिर भी रहे हैं लोग इक मुस्कान को
जो सड़क को पार करता है डरा सहमा बहुत
है वही जिसने बचाया गाँव की पहचान को
माँ नहीं कहती कभी परदेश जाने के लिए
सौंप आती है उन्हें औलाद ही भगवान को
एक कमरा दर्द का है एक में मजबूरियाँ
सोचिये 'आनंद' रखेगा कहाँ मेहमान को
- आनंद
हम वहीं ले जा रहे हैं आधुनिक इंसान को
दौड़ में आगे निकलने की अजब जद्दोज़हद
दाँव पर रखने लगे हैं बेहिचक सम्मान को
वो ज़माने और थे, जब आदमी की क़द्र थी
बोझ है रख दीजिये अब ताक़ पर ईमान को
कुछ नहीं जोड़ा बुढ़ापे के लिए हमने कभी
बेवजह का दोष क्यों दें हम भला संतान को
रौनकें बिखरी पड़ी हैं हर तरफ बाज़ार में
छटपटा फिर भी रहे हैं लोग इक मुस्कान को
जो सड़क को पार करता है डरा सहमा बहुत
है वही जिसने बचाया गाँव की पहचान को
माँ नहीं कहती कभी परदेश जाने के लिए
सौंप आती है उन्हें औलाद ही भगवान को
एक कमरा दर्द का है एक में मजबूरियाँ
सोचिये 'आनंद' रखेगा कहाँ मेहमान को
- आनंद
दर्द और मजबूरियाँ...मेहमान नहीं है ....वो तो जीवन की साथी है
जवाब देंहटाएंबस सोच का फर्क है
सुख और खुशी मेहमान बन कर आती है जीवन में ...ज़रा सोच कर देखिए
sach mae ek andi daud hae , ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति! हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} की पहली चर्चा हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-001 में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
हटाएंगजल अच्छी हैं ,हकीकत से रूबरू
जवाब देंहटाएंआनंद....
जवाब देंहटाएंकायल हूँ आपकी कलमकारी की...!
हर शेर सीधे दिल में गहरे उतरता जाता है....!
लफ्ज़ और एहसास...कदम दर कदम साथ-साथ चल रहे हैं...!
खुदा ये अंदाज़ बनाये रखे...!