ज़ख्म है मरहम है या तलवार है,
आदमी हर हाल में लाचार है।
दे रहा है अमन का पैगाम वो,
जिसकी नज़रों में तमाशा प्यार है।
कीमतों का मुद्दआ भर रह गया,
हर कोई बिकने को अब तैयार है।
भाई इसको तो तरक्की न कहो,
मुफ़लिसों के पेट पर यह वार है।
पहले आयी गाँव में पक्की सड़क,
धीरे-धीरे आ गयी रफ़्तार है ।
अपनी-अपनी चोट सबने सेंक ली,
क्या यही हालात का उपचार है ?
क्या शराफ़त काम आएगी भला,
सामने वाला अगर मक्कार है ।
आपकी नाज़ो-अदा थी जो ग़ज़ल,
आजकल 'आनंद' का हथियार है ।
- आनंद
आदमी हर हाल में लाचार है।
दे रहा है अमन का पैगाम वो,
जिसकी नज़रों में तमाशा प्यार है।
कीमतों का मुद्दआ भर रह गया,
हर कोई बिकने को अब तैयार है।
भाई इसको तो तरक्की न कहो,
मुफ़लिसों के पेट पर यह वार है।
पहले आयी गाँव में पक्की सड़क,
धीरे-धीरे आ गयी रफ़्तार है ।
अपनी-अपनी चोट सबने सेंक ली,
क्या यही हालात का उपचार है ?
क्या शराफ़त काम आएगी भला,
सामने वाला अगर मक्कार है ।
आपकी नाज़ो-अदा थी जो ग़ज़ल,
आजकल 'आनंद' का हथियार है ।
- आनंद
वाह.......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
अनु
शुक्रिया यशोदा बहन !
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