गर अब पुकारना हो, तो तुझको क्या कहूँ मैं
क्या अब भी दोस्त बोलूं या फिर खुदा कहूँ मैं
कुछ तेरी गली वाले कुछ मेरे शहर वाले
दोनों ही चाहते हैं, तुझे बेवफा कहूँ मैं
कुछ दिन से सोंचता हूँ तुझे भूल क्यों न जाऊं
इसे क्या कहूं, हिमाकत ? या हौसला कहूं मैं
कभी जिस्म के सरारे कभी रूह की मुहब्बत
तुझे सिर्फ़ ख्याल समझूं या फलसफ़ा कहूँ मैं
अब भी तो तेरी खुशबू साँसों में महकती है
कभी गुल तुझे कहूं मैं कभी गुलशितां कहूं मैं
कभी जिस्म के सरारे कभी रूह की मुहब्बत
तुझे सिर्फ़ ख्याल समझूं या फलसफ़ा कहूँ मैं
अब भी तो तेरी खुशबू साँसों में महकती है
कभी गुल तुझे कहूं मैं कभी गुलशितां कहूं मैं
जिस शख्स ने अकेले इतने सबक दिए हों
उसे रब न कहूँ तो भी, रब की दुआ कहूँ मैं
उसे रब न कहूँ तो भी, रब की दुआ कहूँ मैं
उस दौर सा भरोसा 'आनंद' पर न करना
वो होश में नहीं है उसे क्या बुरा कहूँ मैं
वो होश में नहीं है उसे क्या बुरा कहूँ मैं
- आनंद
१२ जून २०१२ !
अपने किए पर वो तो बहुत शर्मसार था
जवाब देंहटाएंइंसानियत का बंदा मगर जार जार था ||...अनु
आंधी आये तूफ़ान उठे
जवाब देंहटाएंसाथ यार का छूटे न
मंजिल तक साथ चले
साथी वो कदम छूटे न...
वाह! गहन भावाव्यक्ति। चलो जी, 99 का चक्कर खत्म किया। आपके सौंवे फ़ालोवर हम हुए।
जवाब देंहटाएंवाह....
जवाब देंहटाएंकुछ दिन से सोंचता हूँ तुझे भूल क्यों न जाऊं
इसे क्या कहूं, हिमाकत ? या हौसला कहूं मैं
बेहतरीन गज़ल...सुन्दर शेर.....
अनु
कुछ दिन से सोंचता हूँ तुझे भूल क्यों न जाऊं
जवाब देंहटाएंइसे क्या कहूं, हिमाकत ? या हौसला कहूं मैं
कभी जिस्म के सरारे कभी रूह की मुहब्बत
तुझे सिर्फ़ ख्याल समझूं या फलसफ़ा कहूँ मैं
बहुत खूबसूरत गजल ....
वाह! बहुत ही खूबसूरत... सारे शेर उम्दा
जवाब देंहटाएंजिस शख्स ने अकेले इतने सबक दिए हों
जवाब देंहटाएंउसे रब न कहूँ तो भी, रब की दुआ कहूँ मैं
वाह ...बहुत खूब लिख्खा है ...
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 14-06-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... ये धुआँ सा कहाँ से उठता है .
बहुत खूब||
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति है...
वाह ..खूबसूरत गज़ल है.
जवाब देंहटाएंअब भी तो तेरी खुशबू साँसों में महकती है
जवाब देंहटाएंकभी गुल तुझे कहूं मैं कभी गुलशितां कहूं मैं
वाह ...बहुत खूब
कुछ दिन से सोंचता हूँ तुझे भूल क्यों न जाऊं
जवाब देंहटाएंइसे क्या कहूं, हिमाकत ? या हौसला कहूं मैं ..
वाह क्या बात है ... आप जो भी कहें इसे ... पर ये मुमकिन नहीं ...
लाजवाब गज़ल है और कमाल के शेर ..
जिस शख्स ने अकेले इतने सबक दिए हों
जवाब देंहटाएंउसे रब न कहूँ तो भी, रब की दुआ कहूँ मैं
....बहुत खूब! बेहतरीन प्रस्तुति....
जिस शख्स ने अकेले इतने सबक दिए हों
जवाब देंहटाएंउसे रब न कहूँ तो भी, रब की दुआ कहूँ मैं
एक एक अश आर कबीले दाद ,अलग अंदाज़ ,बे -मिसाल .
कुछ दिन से सोंचता हूँ तुझे भूल क्यों न जाऊं
जवाब देंहटाएंइसे क्या कहूं, हिमाकत ? या हौसला कहूं मैं.... बहुत खूब...
खूबसूरत गजल....
सादर बधाइयाँ
wah gazab likha hai ..
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधी पाठकों का हृदय से आभार !!
जवाब देंहटाएंकुछ दिन से सोंचता हूँ तुझे भूल क्यों न जाऊं
जवाब देंहटाएंइसे क्या कहूं, हिमाकत ? या हौसला कहूं मैं
कभी जिस्म के सरारे कभी रूह की मुहब्बत
तुझे सिर्फ़ ख्याल समझूं या फलसफ़ा कहूँ मैं
Gehan dard hai in shabdo mai Anandji. Behatreen rachna.
आप सभी मित्रों का हार्दिक आभार !
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