फिर एक शाम उदासी में ढल न जाये कहीं |
आ भी जाओ ये हसीं वक्त टल न जाए कहीं
मेरे दिल में जो बसा है वो, जल न जाये कहीं |
नज़र में ख्वाब पले हैं, औ नींद गायब है ,
आँखों-आँखों तमाम शब, निकल न जाये कहीं |
उन्हें ये जिद कि वो मौजों के साथ खेलेंगे,
मुझे ये डर कि समंदर, उबल न जाये कहीं |
आपकी बज़्म में आते हुए डर जाता हूँ,
हमारे प्यार का किस्सा उछल न जाये कहीं |
जानेजां शोखियाँ नज़रों से लुटाओ ऐसी,
रिंद का रिंद रहे वो संभल न जाये कहीं |
रुखसती के वो सभी पल नज़र में कौंध गये,
अबके बिछुड़े तो मेरा दम निकल न जाए कहीं |
रूह से मिल गया ' आनंद ' जब से ऐ यारों
लोग कहते हैं ये इन्सां बदल न जाये कहीं |
- आनंद द्विवेदी १३-०८-२०११
नज़र में ख्वाब पले हैं, औ नींद गायब है ,
जवाब देंहटाएंआँखों-आँखों तमाम शब, निकल न जाये कहीं |
उन्हें ये जिद कि वो मौजों के साथ खेलेंगे,
मुझे ये डर कि समंदर, उबल न जाये कहीं |
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
यूँ न देखो कि मेरा दिल मचल न जाए कहीं
जवाब देंहटाएंये गर्म राख शरारों में ढल न जाये कहीं |
उन्हें ये जिद कि वो मौजों के साथ खेलेंगे,
मुझे ये डर कि समंदर, उबल न जाये कहीं |रुखसती के वो सभी पल नज़र में कौंध गये,
अबके बिछुड़े तो मेरा दम निकल न जाए कहीं |
वाह बेहतरीन अल्फ़ाज़्……………।शानदार गज़ल्।
बहुत ही अच्छी ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंउन्हें ये जिद कि वो मौजों के साथ खेलेंगे,
जवाब देंहटाएंमुझे ये डर कि समंदर, उबल न जाये कहीं |
आपकी बज़्म में आते हुए डर जाता हूँ,
हमारे प्यार का किस्सा उछल न जाये कहीं |
Wah! Kya baat hai!
उन्हें ये जिद कि वो मौजों के साथ खेलेंगे,
जवाब देंहटाएंमुझे ये डर कि समंदर, उबल न जाये कहीं...
खूबसूरत ग़ज़ल !
उन्हें ये जिद कि वो मौजों के साथ खेलेंगे,
जवाब देंहटाएंमुझे ये डर कि समंदर, उबल न जाये कहीं |
आपकी बज़्म में आते हुए डर जाता हूँ,
हमारे प्यार का किस्सा उछल न जाये कहीं |
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
उन्हें ये जिद कि वो मौजों के साथ खेलेंगे,
जवाब देंहटाएंमुझे ये डर कि समंदर, उबल न जाये कहीं...बहुत खूबसूरत शानदार गज़ल .....बधाई..
बेहतरीन .........
जवाब देंहटाएंआपकी बज़्म में आते हुए डर जाता हूँ,
हमारे प्यार का किस्सा उछल न जाये कहीं |
रुखसती के वो सभी पल नज़र में कौंध गये,
अबके बिछुड़े तो मेरा दम निकल न जाए कहीं |
यह दो शेर कुछ ज्यादा पसंद आये ,मुझे
वाह ...बहुत खूब कहा है ।
जवाब देंहटाएं"आपकी बज़्म में आते हुए डर जाता हूँ,
जवाब देंहटाएंहमारे प्यार का किस्सा उछल न जाये कहीं |"
"रूह से मिल गया'आनंद'जब से ऐ यारों
लोग कहते हैं ये इन्सां बदल न जाये कहीं |"
किसी की रूह से मिलना हो या खुद की
इन्सां का बदलना तो वाजिब है....
लाजवाब.....!!
***punam***
bas yun...hi..
वाह...वाह.....
जवाब देंहटाएंइस बार तो काफी गर्मागर्म ग़ज़ल पेश की है आनंद जी ....
हम तो किनारे से होकर गुजर लिए ....
बड़ी तेज आंच है .....
:))
बहुत खूब!
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